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Tuesday, April 13, 2010

बैसाखी : एक फसली पर्व

शरद ॠतु के समाप्त होते ही प्रकृति अपना रंग बदलती है । फूल खिलते हैं , पेडों से महक आने लगती है , आम की कोपलें फूटती है । मैदानी भागों में जहां तक नजर डालो , गेहूं की फसल की चादर बिछी दिखाई देती है । धीमी - धीमी हवा के झोंके से जब गेहूं की बालियों की सरसराहट  किसानों के कानों तक पहुंचती है तो उसका मन खुशी से झूम उठता है । यही वह समय होता है जबकि किसानों की छह महीनों की मेहनत रंग लाती है । बैसाखी के दिन किसान गेहूं की फसल की कटाई करना शुभ मानते हैं
अप्रैल माह की 13 - 14  तारीख को मनाया जाने वाला बैसाखी का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है । यह धार्मिक त्यौहार न होकर एक फसली त्यौहार है । जो कि मुख्यत: रबी की फसलें पकने की खुशी में मनाया जाता है । यूं तो यह पर्व सारे देश में मनाया जाता है लेकिन पंजाब की बैसाखी का अलगअंदाजहै।इसदिन किसान                                                                            फोटो - गूगल से साभार
अपनी फसल को हांसिए से काटना शुभ मानते हैं और फसल की कटाई किसान के जीवन का सबसे बडा पर्व है । यही वजह है कि कृषि प्रधान पंजाब के लिए इस पर्व का बडा ही महत्व है । फसल कटाई का शुभारम्भ करने के बाद किसान नये - नये वस्त्र पहनकर नाचते - गाते हैं और भांगडा करते हैं । महिलाएं गिद्दा करके अपनी खुशी जाहिर करती हैं । श्रद्धालु नदियों - सरोवरों में स्नान करते हैं । हिंदू संस्कृति में नए साल का शुभारम्भ मार्च - अप्रैल माह अर्थात हिंदू तिथि के अनुसार चैत माह से होता है । हिंदू कैलेंडर के मुताबिक 16 मार्च से नव संवतसर 2067  शुरू हो गया है । अत: चैत माह की 24  तारीख को वैसाखी का त्यौहार मनाया जाता है । जबकि यह त्यौहार अंग्रेजी तिथि के अनुसार अप्रैल माह की 13 - 14  तारीख को पडता है । बताते हैं कि 36  वर्ष बाद यह दूसरी तिथियों में पडता है । यह सूर्य गणना का भी पर्व है ।
पंजाब के अतिरिक्त उत्तरी भारत में गढमुक्तेश्वर व हरिद्वारादि स्थानों पर गंगा तट पर वैसाखी के मेले लगते हैं । बैसखी के दिन ही भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर ब्लाने में सफल हुए थे । प्राचीन समय से रावी के तट पर बैसाखी का मेला लगता आ रहा है । बौद्ध धर्म का भी बैसाखी से संबंध है । बैसाखी के दिन ही आज से लगभग  200o  वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी । तथा इसी दिन बौद्ध संघ स्थापित हुआ था ।
आर्य समाजियों में बैसाखी का महत्व इसलिए है क्योंकि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने सर्वप्रथम इस दिन ही आर्य समाज की स्थापना की थी । बंगाली एवं कश्मीरी तो नववर्ष का शुभारम्भ बैसखी के दिन से ही मानते हैं ।
इस साल हरिद्वार में कुंभ होने के कारण कल 14  तारीख को बैसाखी पर्व के दिन भक्तजनों कि भारी भीड रहेगी । वैसे भी 15 तरीख अमावस्या को कुम्भ का आखिरी स्नान है इससे भी वहां भीड की बेहद संभावना है ।
इधर कल चौदह तारीख को बाबा भीमराव अंबेडकर जी का जन्मदिन होने के कारण छुट्टी का दिन होने से भी आसपास के क्षेत्रों से लोग हरिद्वार गंगा में डुबकी लगाकर कुंभ स्नान कर पुण्य कमाएंगे ही साथ ही बैसाखी पर्व  को भी एंजाय करेंगे ।



Friday, April 9, 2010

चले थे हीरो बनने ,बन गए संगीतकार : खैय्यामजी


महान संगीतकार खैय्याम का पूरा नाम मोहम्मद ज़हूर खैय्याम है उन्होंने एक से बढ़ कर फ़िल्मी गीतों को मधुर धुनों से सजाया है, लेकिन एक समय था जब वो फिल्मों में अभिनय करना चाहते थे हीरो बनना चाहते न कि संगीतकार. उस जमाने में हीरो बनने के लिए नायक का संगीत जानना भी बहुत ही जरुरी होता था सो वो पंहुच गये लाहौर, मशहूर संगीतकार बाबा चिश्ती के पास, तो लाहौर जाने से खैय्याम हीरो के बजाय संगीतकार बन गये. १९५३ में उन्होंने फ़िल्म ''फुटपाथ'' में संगीत दिया, इस फ़िल्म का गीत ''शामें गम की कसम'' जिसे गाया था गायक तलत महमूद ने, यह गीत सुपर हिट हुआ था, तो इस तरह शुरू हुआ एक महान संगीतकार का संगीतमय सफ़र.
पिछले दिनों संगीत कंपनी सारेगामा द्वारा रिलीज़ की गयी ''परिचय'' सीरिज के अवसर पर खैय्याम साहब से मुलाकात हुई और उन्होंने हमें बहुत सारी अपनी पुरानी यादों से परिचित कराया. उन्होंने ''परिचय'' शीर्षक से रिलीज़ हुई ८ एम पी ३ सीरिज के बारें में कहा कि,'' बहुत ही लाजवाब नाम रखा है सारेगामा ने, सारेगामा के पास तो संगीत का खजाना है. परिचय में शामिल सभी गीत सदा बहार हैं, ये सभी गीत आज भी हिट हैं और हमेशा ही रहेगें.''
खैय्याम साहब के इस एम पी ३ में उनके द्वारा संगीत बद्ध किये गये ४० गीत हैं, जिनमें ''अकेले में वो घबराते तो होंगे'', ''शामे गम की कसम'', ''बहारों मेरा जीवन भी सवारों'', ''जीत ही लेगें बाजी हम तुम'', ''कभी कभी मेरे दिल में'', '' आजा रे ओ मेरे दिलबर आजा'', '' दिल चीज क्या है'',''न जाने क्या हुआ'',''फिर छिड़ी रात'',''ए दिले नादाँन'' , '' हज़ार राहें मुड़ कर देखी'', ''प्यार का दर्द'' '' यह क्या जगह हैं दोस्तों'' आदि अनेको गीत शामिल हैं.
पिछले दिनों खैय्याम साहब को ''फ़िल्म फेयर'' की ओर से २०१० का ''लाइफ टाइम अचीवमेंट'' अवार्ड मिला है, उन्हें यह अवार्ड गायिका आशा भोसलें के हाथों मिला, इस अवार्ड के बारें में पूछने पर उन्होंने कहा कि, '' बहुत ही अच्छा लगा यह अवार्ड पाकर, जब भी कोई अवार्ड मिलता है तो बहुत ही ख़ुशी होती है, इस अवार्ड के बारें में बहुत लोगो ने कहा कि यह अवार्ड देर से मिला है मुझे, लेकिन मुझे किसी से कोई भी शिकायत नहीं है क्योंकि मेरा मानना है कि हर चीज का अपना वक्त होता है और अब मेरा वक्त आया है.'' आशा भोसलें के बारें में उन्होंने कहा कि,'' आशा जी बहुत ही गजब का गाती हैं, फ़िल्म ''उमराव जान'' की गज़लों को अपनी आवाज में गाकर उन्होंने अमर बना दिया है. मैंने उन्हें फ़िल्म ''फुटपाथ' में कैबरे डांसर का गीत गवाया और नायिका मीना कुमारी के लिए भी मैंने ही उनसे गीतों को गवाया.''
८३ साल की आयु में भी उनमे जो गजब का उत्साह व उमंग हैं वो देखते ही बनता है. बातों के बीच - बीच में खैय्याम साहब कभी जोश में आ जाते हैं और गीतों को गुनगुनाना भी शुरू कर देते हैं. उनसे बात करते समय आपको कुछ भी बोलने की जरुरत नहीं होती वो अपने आप ही सब बताते जाते हैं.उन्होंने बताया कि, ''बेगम अख्तर साहिबा ने भी उनके साथ गाने की ख्वाहिश जाहिर की, जब बेगम अख्तर साहिबा ६० साल की थी तब उन्होंने ''मेरे हम सफ़र मेरे हम नवा, मुझे दोस्त बन के दगा न दे'' ग़ज़ल की रिकार्डिंग की और कहा कि, ''इस ग़ज़ल को गाकर मुझे आज ऐसा लगा कि जैसे आज मेरी आवाज ६० साल की नहीं बल्कि २४ साल की हो गयी है. आज मेरी आवाज को खैय्याम ने जवान कर दिया है''
लता दीदी के बारें में खैय्याम साहब ने बताया कि, ''वो जादू है, उसकी आवाज एक जादू है, जब मैंने फ़िल्म ''रजिया सुलतान'' का गीत ''ऐ दिले नादाँन'' बनाया और लता ने उसे गाया, यह गीत उसे बहुत ही अच्छा लगा, उसे जब भी कोई धुन पसंद आती है तो वो कुछ कहती नहीं बल्कि उसके गाल लाल हो जातें हैं वो मुस्कुराती है तब हम समझ जाते है कि उसे धुन बहुत ही अच्छी लगी है.''
खैय्याम साहब ने फिल्मों में तो शानदार संगीत दिया है इसके साथ-साथ उन्होंने कई टी वी धारावाहिकों में भी शानदार संगीत दिया है. उन्होंने ग्रेट मराठा, दर्द, सुनहरे वर्क्स, बिखरी याद बिखरी प्रीत के अलावा धार्मिक धारावाहिक ''जय हनुमान'' में बैक ग्राउंड'' संगीत दिया. इसके लिए इन्हें बहुत ही सराहना मिली. १९७७ में फ़िल्म ''कभी कभी'' व १९८२ में ''उमराव जान'' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत का उन्हें फ़िल्म फेयर अवार्ड मिला. उन्होंने बताया कि, '' इस फ़िल्म के लिए एक ओर जहाँ शायराना संगीत दिया “कभी-कभी मेरे दिल में” गीत के लिए, वहीँ दूसरी ओर नौ जवानों के लिए ''तेरे चेहरे से'' गीत की भी धुन बनायीं.'' बहुत कम लोग जानते हैं कि फ़िल्मी गीतों में ''नज्म'' को खैय्याम साहब ने ही लोकप्रिय किया है. फ़िल्म ''कभी कभी'' के दो गीत ''मैं पल दो पल का'' और ''मेरे घर आयी एक नन्ही परी'' दोनों ही बहुत लोकप्रिय हुए, ये दोनों हो नज्म हैं.
इनकी पत्नी जगजीत कौर जो कि खुद एक लोकप्रिय गायिका हैं, के बारें में उन्होंने बताया कि, जगजीत का बहुत ही बढा हाथ हैं जो मैं आज यहाँ तक पहुंचा हूँ, इनका फ़िल्म ''शगुन'' का गाया गीत ''तुम अपना रंजो गम'' बहुत ही लोकप्रिय हुआ. इसी तरह ''देख लो आज हमको जी भर के'' व '' काहे को बियाही बिदेस'' भी बहुत ही लोकप्रिय हुए हैं, यही नहीं जब भी मैं किसी फ़िल्म का संगीत तैयार करता हूँ तो जगजीत का मुझे ही मदद करती है. जब मैं फ़िल्म ''उमराव जान'' का संगीत तैयार कर रहा था तब भी हम आपस में बहुत बहस करते थे तब जाकर कोई धुन बनती थी. ''जिन्दगी तेरी बज्म में'' फ़िल्म ''उमराव जान'' की ग़ज़ल को वास्तव में जगजीत ने ही बनाया है.''

Tuesday, April 6, 2010

दिल्ली - 6 नगर - दिल्ली से दूर मगर एहसास होगा दिल्ली में होने का

 डी आर एस ग्रुप के नाम से जाना जाने वाला अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स प्राईवेट लिमिटेड पिछले कई वर्षों से पुनर्वास एवं रसद व्यापार में संलग्न है । इस व्यापार में अग्रणी डी आर एस ग्रुप ने अब आतिथ्य के क्षेत्र में भी अपने कदम रख दिए हैं और इसी दिशा में देश के प्रमुख दिल्ली - जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर धारूहेडा के निकट " दिल्ली - 6 रेस्टोरेंट एंड रेकरेशन " के नाम से एक रिवाल्विंग रेस्टोरेंट तथा रिजोर्ट का शुभारम्भ किया जा रहा है । जिसकी थीम है ’ दिल्ली अवे फ्रोम दिल्ली ’ । डी आर एस ग्रुप की योजना  देश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर ऎसे लगभग 9 रेस्टोरेंट खोले जाने की है । इसी कडी में पहला यह रिजोर्ट दिल्ली से 81 किमी . दूर जयपुर जाते समय रास्ते में धारूहेडा के समीप खोला गया है । जबकि दूसरा पलवल के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग - 2 पर खोला जाना प्रस्तावित है ।


डी आर एस ग्रुप के चेयरमेन श्री रमेश अग्रवाल के अनुसार एक ओर जहां हरियाणा पर्यटन विकास निगम राज्य में पर्यटन के विकास पर पुरजोर ध्यान देते हुए राज्य की विरासत स्थलों की रक्षा करने के प्रयास में जुटा है , वहीं हमारा भी यही उद्देश्य है कि दिल्ली - 6 के माध्यम से हरियाणा में पर्यटन के विकास को नई दिशा प्रदान की जाए ।
आगामी अक्तूबर माह में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स को देखते हुए दिल्ली - जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप स्थित यह ’दिल्ली - 6 नगर ” में ऎसी मनोरंजक व्यवस्था की गईं हैं कि देश - विदेश के पर्यटक भारत की राजधानी दिल्ली में आकर कॉमनवेल्थ गेम्स का तो लुत्फ लें ही , साथ ही घूमने फिरने के इरादे से इस रिजोर्ट में आएं और पूरी मौज मस्ती करें तथा यहां के हंसीन लम्हे अपने साथ ले जाएं । इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए ” दिल्ली - 6 नगर ” में रहने के लिए 22 सुसज्जित कमरों की व्यवस्था की जा रही है जो  सितंबर यानि  कॉमनवेल्थ गेम्स के शुरू होने से पहले बनकर तैयार हो जाएंगे । इसके अलावा खान - पान के मामले में पुरानी दिल्ली की लोकप्रियता का विशेष ख्याल रखते हुए एक तरह से चांदनी चौक को यहां बसाने का प्रयास किया गया है ।दिल्ली के चांदनी चौक में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं । खान - पान के शौकीन लोगों की यह बेहद पसंदीदा जगह है । चांदनी चौक में कई मशहूर दुकाने हैं जैसे - घंटेवाला हलवाई , नटराज के दही - भल्ले , कंवर जी , भागीरथमल , दालबिजी वाला , परांठे वाली गली व कुल्फी - फलूदा आदि काफी चटकारे लेने वाले आइटम हैं।  इन सभी चीजों को यहां विशेष तौर पर रखा गया है । वास्तव में दिल्ली - 6 नगर की रूपरेखा गहन विश्लेषण व जानकारी जुटाने बाद तय की गई है । खान - पान ही नहीं यहां दिल्ली के मीना बाजार व किनारी बाजार की शॉपिंग का भी आन्नद उठाया जा सकता है ।

श्री अग्रवाल ने जोर देते हुए बताया कि यहां मनोरंजन की सारी व्यवस्थाएं बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को ध्यान में रखते हुए की गई हैं । मसलन यहां १२ वर्ष से लेकर ६० वर्ष तक की आयु वर्ग के लोग अपने मनचाहे तरीके से खूब जमकर मस्ती कर सकेंगे । उन्होंने कहा कि हमारा पूरा प्रयास है कि देश - विदेश के पर्यटक ”दिल्ली 6 नगर ” में आएं और भरपूर मनोरंजन का लुत्फ उठाकर यहां से टेंशन फ्री होकर जाएं । उन्होंने इसकी थीम ”दिल्ली अवे फ्रोम दिल्ली ” के बारे में बताया कि  यहां घूमने आए लोगों को दिल्ली से दूर होते हुए भी यहां दिल्ली में होने का एहसास होगा ।

Sunday, April 4, 2010

टीना कहती है - शादी करनी ही है तो पहले ही क्यों न कर लें

छोटे परदे के कलाकारों में एक लोकप्रिय नाम है अभिनेत्री टीना पारेख का, टीना ने लोकप्रिय धारावाहिक ''कहानी घर घर की'' में श्रुति का चरित्र अभिनीत किया था. बहुत ही पसंद आया दर्शको को उनका काम और वो रातों रात स्टार बन गयी. मुंबई के मीठी बाई कालेज से साइकोलौजी विषय में स्नातक कर चुकी टीना अब तक अनेकों विज्ञापन फिल्मों [रसना, बी,एस एल सूटिंग्स, हीरो होंडा, आई सी आई सी आई बैंक, एयरटेल] व धारावाहिकों [हिप हिप हुर्रे, कहानी तेरी मेरी, कहानी घर घर की, कसौटी जिन्दगी के, कहता है दिल, खिचड़ी, डौलर बहू, शुभ कदम] में काम कर चुकी हैं, इस समय वो फिर एक बार अपने अभिनय से दर्शको को प्रभावित कर रही हैं दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहें धारावाहिक ''पीहर'' में. डी डी नेशनल पर दोपहर १ बजे प्रसारित होने वालें इस धारावाहिक ''पीहर'' की टी आर पी नम्बर वन है. इसकी कहानी से दर्शको के दिल के काफी करीब है. १५० से अधिक एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं ''पीहर'' के. विशान्त ऑडियो के बैनर में निर्मित इस धारावाहिक के निर्माता हैं रमेश बोकाडे व निर्देशक हैं हिमांशु कोंसुल.
नंदिनी का किरदार अभिनीत कर रहीं टीना अपने चरित्र के बारें में कहती हैं, ''बहुत ही प्रभावशाली भूमिका है मेरी, और मेरी कोशिश भी पूरी है कि मैं इसके साथ न्याय करूं. मेरे इस किरदार से अगर जरा सी भी किसी को प्रेरणा मिलती है तो बस समझिये कि मेरा इस किरदार को निभाना सफल हो गया.'' ''पीहर'' दर्शको का सबसे लोकप्रिय धारावाहिक है इसकी क्या वजह है? पूछने पर टीना कहती हैं कि,'' क्योंकि एक तो इसकी कहानी बहुत ही अच्छी है उस पर आम आदमी की कहानी को निर्देशक हिमांशु ने बहुत ही प्रभावी तरीके से पेश किया है, यही वजह है कि दर्शको को यह पसंद आ रहा है.क्योंकि आम आदमी के लिए सरकार तो बहुत सारी योजनायें बनाती है व उन्हें लागू भी करती है, लेकिन उनका फायदा बेचारे गाँव वालों को नहीं मिल पाता, क्योंकि आम आदमी की इन सभी समस्याओ के पीछे ऊँचे ओहदे वाले भ्रष्टाचारी लोग हैं. यह केवल एक धारावाहिक की कहानी नहीं बल्कि यह एक कडवा सच है जिनसे लोगों को दो चार होना पड़ता है ''
''कभी कभी प्यार, कभी कभी यार'' के बाद किसी रियल्टी शो में नजर नहीं आयी क्यों? क्योंकि किसी भी रियल्टी शो में काम करने में बहुत वक्त लगता है और जब आप डेली सोप में काम कर रहे हो तो समय की कमी होती है बस यही वजह है.'' अभी पिछले दिनों ''लिविंग रिलेशनशिप'' के बारें में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह रहना कोई जुर्म नहीं है. आप क्या कहती हैं इस बारें में ? पूछने पर उन्होंने जवाब दिया, ''लिविंग रिलेशनशिप में रहने के बाद अगर ३ या ४ साल बाद भी शादी करनी है तो पहले ही शादी करना ज्यादा अच्छा है मेरे हिसाब से.''

Thursday, April 1, 2010

खुशखबरी.... हिन्दी ब्लॉगर्स के लिए खुशखबरी .......कमाई की शुरूआत हुई.....

आज और अभी - अभी मुझे एक मेल मिला है जिसके तहत दिल्ली सरकार ने हमारे हिन्दी ब्लॉगर्स की संस्तुति को शीघ्र अमल में लाकर एक ब्लॉग मंत्रालय की स्थापना कर दी है । इस मंत्रालय के तहत एक प्रकोष्ठ भी बनाया है जिसके सदस्य हिन्दी ब्लॉगर्स ही बनाए गए हैं और उनके नाम भी घोषित कर दिए गए हैं ।
यह प्रकोष्ठ इस बात पर नजर रखेगा कि कौन हिन्दी ब्लॉगर है जो प्रतिदिन बेनागा अपने ब्लॉग पर लिखता है तथा उसके लेखन में समाज के लिए क्या - क्या उपदेश हैं । वे समाज का भला करने में अपना कितना योगदान दे पा रहे हैं । मंत्रालय के अनुसार हिन्दी ब्लॉगर्स को गुजारा भत्ता के लिए [अथवा अपने घरवालों कि तसल्ली के लिए कि हिन्दी ब्लॉगिंग में अब टाइम खोटी करने वाली बात नहीम है बल्कि इससे अब कमाई भी है ] प्रति लेख १५० रुपया तय किया गया है । चुने गए ब्लॉगर्स को कमाई की सूचना हर सप्ताह के अंत में मेल द्वारा प्रेषित कर दी जाएगी ।यही नहीं मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझावों व निर्देश में यह भी खुलासा किया गया है कि उन्हीं ब्लॉगर्स को कमाई की श्रेणी में शामिल किया जाएगा जिनकी पोस्ट में सरकार की जबर्दस्त बखिया उधेडी गई हो ।
प्रकोष्ठ में नामित सदस्यों में मुझे [शशि सिंघल ]  प्रकोष्ठ का लेखाधिकारी बनाया गया है । जिसके लिय मैंने लौटती डाक से अपनी स्वीकृति भेज दी है । मैंने प्रकोष्ठ के लिए अपना काम आज से ही शुरू कर दिया है ।
अत: मैं अपने ब्लॉगर्स साथियों को शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद करती हू कि वे आज से ही एसी पोस्टें लिखने लगें जिसमें सरकार की बखिया पूरी की पूरी उधडी हो ।
देखिए इसे कहते हैं सफलता - कि अभी पिछले सप्ताह ही ब्लॉगर्स रअजीव तनेजा जी के घर एकत्रित हुए थे और त्ब सबने एक सुर से हिन्दी ब्लॉगिंग में कमाई कैसे की जाए इस बात पर विचार विमर्श किया था । तभी अविनाश जी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वे स्वयं एक सरकारी अधिकारी हैं तो वे सरकार तक हमारी बात जल्दी पहुंचा सकते हैं । लिए गए निर्णय के तहत सभी ने मिलकर सरकार से इस सबंध मेम ठोस कदम उठाने की मांग करते हुए अविनाश जी को एक पत्र दिया था । भ्ला हो अविनाश जी का जिन्होंने तुरंत हम सबकी व्यथा सरकार तक पहुंचा दी और नतीजे के तौर पर सरकार ने भी आनन - फानन में फैसला लिया और हिन्दी ब्लॉगरों को प्रति रचना १५० रुपया देना तय कर दिया ।
आप सभी को अह जानकर बेहद खुशी होगी कि आज ही इस परम्परा का शुभारम्भ कर दिया गया और इनाम की श्रेणी मेम अविनाश जी का नाम सामने आया है जिन्हेम इनाम स्वरूप १५० रुपए का चैक आज ही उनके पते पर भेज दिया गया है । अविनाश जी को यह इनाम उनके द्वारा लिखी गई हाल ही की रचना ”महंगाई को लेकर शीला दीक्षित द्वारा जनता के नाम लिखे गए पत्र के लिए दिया गया है । आपको यह भी बता दूम कि अन्य कई और ब्लॉग भी पाइप लाइन में हैं जिनपर विचार चल रहा है । इनके इनाम की घोषणा करने के लिए आज शाम छ बजे का समय निर्धारित किया गया है । यदि आपको कोई मेल न मिले तो आप शाम आठ बजे मेरे ब्लॉग http://www.meraashiyana.blogspot.com/  पर आकर अपना नाम देख सकते हैं

Monday, March 29, 2010

मेरी पहली ब्लॉगर्स मीट : बेहद रोचक और मजेदार

मैं अपनी ब्लॉगर्स मीट के बारे में कुछ कहूं उससे पहले मैं राजीव तनेजा जी व विशेषकर उनकी पत्नी संजू तनेजा का धन्यवाद करती हू तथा उन्हें साधुवाद देती हूं कि उन्होंने इस मीट को तरोताजा व सफल बनाकर एक यादगार मीट बना दी है । दोनों ब्लॉगर्स पति - पत्नी की मेहनत और प्रयासों की वजह से हम सभी ब्लॉगर्स एकजुट हो आपस में एकदूसरे को जान - पहचान सके ।
हां तो अब मैं अपने विषय पर पहुंचती हूं और देर से सही अपने नजरिये से अलबेला जी के दिल्ली आगमन पर हुई ब्लॉगर्स मीट में ले चलती हूं । शुक्रवार २६ मार्च को कोई आठ - साढे आठ बजे का समय था तभी फोन की घंटी बजी , उठाया तो फोन से आवाज आई कि कल सुबह ग्यारह बजे शालीमार बाग , राजीव तनेजा जी के घर में ब्लॉगर्स की बैठक है उसमें मुझे पहुंचना है और ये आवाज थी ब्लॉगर्स की दुनिया के जाने माने व धुरंधर ब्लॉगर अविनाश जी की । मैंने उनके निमंत्रण कॊ तुरत ही स्वीकार कर लिया । क्योंकि मैं पिछले काफी समय से जगह - जगह होने वाली ब्लॉगर्स मीट के बारे में काफी कुछ पढ चुकी थी अत: तमन्ना थी कि मैं भी ब्लॉगर्स मीट मैं शामिल होऊं । सो अब वो समय आ गया था इसलिए मन का  कल्पनाओं के घेरे में आना लाजिमी था ।तरह - तरह के विचार और प्लॉट बनने लगे । खैर किसी तरह रात बीती और मैं जुट  गई जल्दी - जल्दी अपने सुबह के काम निबटाने में । जैसे - जैसे वार्ता का समय नजदीक आने लगा और मैं असहज होने लगी । तभी सवाल दागा गया कि जब मै किसी को , विशेषकर जिसके घर मैं जा रही हू , जानती पहचानती नहीं हूं तो क्या इस तरह मेरा जाना ठीक होगा ? फिर क्या था मैं अपने जाने को लेकर असमंजस की स्थिति में आ गई । एक मन कहे कि मूर्ख यही तो अवसर है सभी को जानने पहचानने का , फिर जब भी मीट में शामिल होने का अवसर मिलेगा तब पहली बार तो सब अनजाने से ही होंगे अत: एक बार मुलाकात कर लेना अच्छा ही रहेगा । लेकिन दूसरी तरफ शंका और असहजता ने मन में डेरा जमा लिया कि अरी मूर्ख यदि मीटिंग किसी पब्लिक प्लेस पर होती तो कोई बात नहीं या फिर जिनके घर में हो रही है उनसे भी पहले से कोई बातचीत होती तो भी कोई बात नहीं थी। अब भारी दुविधा थी एक ओर असहजता थी तो दूसरी ओर इस मीट को न छोडने का मन । इस बीच घडी  ने ११ बजा दिए निर्णय ले पाना कठिन हो गया तभी मुझे याद आए अविनाशजी और तुरंत इन्हें फोन लगा दिया । फोन रिसीव करते ही अविनाशजी ने सवाल कर दिया कि मैं कहां पहुंची ? तब मैंने उन्हें अपनी दुविधा बताइ तथा फोन पर ही राजीव जी की पत्नी संजू से बात करने की इच्छा जाहिर की । भला हो अविनाशजी का कि उन्होंने मेरी बात को अन्यथा न लेते हुए अतिशीघ्र मेरी बात संजू जी से करवाई  । संजू जी से बात होते ही मैं निकल पडी मीटिंग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और लगभग आधा घंटे में ,किन्तु मीटिंग के समय से थोडा लेट , पहुंच गई राजीवजी के घर यानि कि मीटिंग प्लेस पर ।
मन में काफी उथल - पुथल मची हुइ थी मगर सभी नौ ब्लॉगर्स , जो उस समय वहां उपस्थित थे , से मिलकर आपस में एकदूसरे का परिचय करके मैं एकदम सहज हो गई । चंद मिनटों में सचमुच ऎसा लगने लगा कि यह हम लोगों की पहली मुलाकात नहीं बल्कि हम लोग तो एक दूसरे को काफी समय से जानते पहचानते हैं । एक ऎसा स्वस्थ वातावरण बन गया जिसे शब्दों में व्यक्त कर पाना कठिन है । जलपान व चाय नाश्ते का दौर शुरू हो गया जो कि संजू जी व उनका बेटा बडी ही शिद्दत के साथ संभाले हुए थे । मेलमिलाप के बीच शुरू हुआ विचारों का आदान - प्रदान । पवन जी बात कर रहे थे अपनी कविता किसी ब्लॉगर के द्वारा चुराए जाने के सबंध में । उन्होंने बाकायदा अपनी स्वरचित कविता व चुराई गई कविता वहां उपस्थित ब्लॉगरों के समक्ष रखी । वास्तव में यह उस ब्लॉगर द्वारा किया गया न सिर्फ एक घिनौना अपराध है बल्कि एक कवि की भावनाओं के साथ खेलने का घिनौना कृत्य है । उम्मीद है कि भविष्य में ऎसा अपराध दोबारा नहीं किया जाएगा ।
बागी चचा की कविता "दीनू" काफी मर्मस्पर्शी निकली । वहीं कनिष्क कश्यप का काव्यपाठ "सरफगोशी से सरफगोशी से" सुनने में आन्नद आया । इधर अविनाशजी द्वारा लिखी गई व्यंग्यात्मक टिप्पणी जो कि महंगाई को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा आम जनता को लिखा गया पत्र था , बेहद रोचक व तीखा था ।  उम्मीद है कि अविनाशजी अपने इस पत्र को शीघ्र ही अपने ब्लॉग पर डालेंगे ताकि और सभी भी इसे पढ सकें ।
इस दौरान अलबेला जी ने एक बडा ही ज्वलंत  मुद्दा उठाया उन्होंने सभी को राय मांगी कि कुछ ऎसा किया जाए कि हिन्दी ब्लॉगिंग से कुछ कमाई हो ताकि घरवालों को यह न लगे कि हम कम्प्यूटर के सामने बैठे - बैठे अपना समय बर्वाद कर रहे हैं । आज अंग्रेजी ब्लॉगिंग को तो गूगल से सहायता मिल रही है लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग को नहीम । हिन्दी ब्लॉगर्स का एक ऎसा साझा मंच बने जो कि निजी विग्यापन दाताओं से सम्पर्क करके  पैसा कमाने का प्रयास कर सके । इसके लिए अपना सुझाव देते हुए कनिष्क जी ने कहा कि क्यों न ऎसा किया जाए कि हिन्दी ब्लॉगर्स अपना एक अंग्रेजी ब्लॉग भी बनाएं तथा उसे गूगल एड  वर्ल्ड पर रजिस्टर करवाकर उस पर आने वाले विग्यापन को हिन्दी ब्लॉग पर भी दिखाएं तो शायद इससे कुछ कमाई की जा सके । मैं सोच रही हूं कि कनिष्क जी के सुझाव को जल्द ही अमल में लाकर देखा जाए कामयाबी मिलती है या नहीं ।
मुझे इस बात का अफसोस है कि समय की कमी के कारण मुझे यह वार्ता बीच में ही छोडकर आना पडा । मैं बडे ही दुखी मन से वहां से आई । लेकिन मुझे इस बात की भी खुशी है कि कम ही सही मैं कुछ तो समय ब्लॉगर्स मीट को दे पाई और सभी धुरंधर ब्लॉगर्स व एक से बढकर एक हस्तियों से मिलपाई । मैं एक बार फिर अविनाशजी व संजू जी की शुक्रगुजार हूं कि इन्हीं के कारण मैं हिन्दी ब्लॉगर जगत की  नामचीन हस्तियों के बीच कुछ पल गुजार सकी ।
 ब्लॉगर्स मीट के चित्र अविनाशजी ने अपने ब्लॉग पर डाल दिए हैं ।

Friday, March 26, 2010

बालिका बचाओ का संदेश देंगी प्रियंका


पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में सन फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक समारोह में संगीत कंपनी सारेगामा इंडिया लिमिटेड ने गुरु ग्रंथ साहिब के ''शबद'' का एक एलबम ''हाल मुरिदां दा कहना'' रिलीज़ किया. सुरजीत सिंह परमार द्वारा तैयार किये गये संगीत पर डा. अशोक चोपड़ा द्वारा गाये गये ८ शबद हैं, इस सीडी में, जो कि भारतीय शास्त्रीय संगीत (रागों) पर आधारित हैं, इस सी डी में 'मित्तर प्यारे नू'' ,''हाल मुरिदां दा कहना'' [ख्याल ] हैं, ये वो शबद है जो गुरू गोविन्द सिंह साहिब ने गाये थे जब उनके पूरे परिवार की मचीवादा जंगल (लुधियाना के पास) में शहादत हो गयी थी.

''हमें बहुत समय लगा इस 'उदास' ख्याल को अपनी अंतर आत्मा के साथ गाने में, जब यह ''शबद'' रिकॉर्ड हुआ उस वक्त सुबह के ४ बजे थे'' भाव विभोर होकर डॉ. चोपड़ा कहते हैं. एक पंजाबी हिंदू हैं डॉ. चोपड़ा, जो कि सच्चे धर्मनिरपेक्ष इंसान है. वो पहले भी ''नातिया कलाम'' (मुस्लिम धार्मिक कविता) और भजन (हिंदू भक्ति गायन), देश भर के संगीत समारोहों में गाकर एक गायक के रूप में लोकप्रिय हो चुके हैं. अशोक चोपड़ा का कहना है कि, "मुझे खुशी है कि सभी के आशीर्वाद के साथ, मेरा यह एलबम लांच हो रहा है."

६० वर्ष के डॉ. अशोक चोपड़ा एमबीबीएस, एमएस हैं वह एक मेधावी छात्र रहें हैं अपनी पढाई के दौरान , साथ ही साथ वह एक प्रतिभाशाली गायक हैं, वो गायक मोहम्मद रफ़ी और मदन मोहन के बहुत बड़े प्रशंसक हैं .लगातार ११ वर्षों तक उन्होंने स्कूल की प्रार्थना सभा में स्कूल के दल का नेतृत्व किया और हमेशा ही अपने स्कूल की गायन प्रतियोगिताओं के विजेता रहें. अपनी चिकित्सा के अध्ययन को पूरा करने के बाद वो 1974 में सेना में शामिल हो गए, १९९७ में सेवानिवृत्त हुए और बरेली में उन्होंने सन् २००१ काम किया. अब वह ''लेजर सर्जरी लिपोलिसी'' मुंबई में काम कर रहें हैं.

सुरजीत सिंह परमार ने मुंबई के एक गुरुद्वारें में डॉ अशोक की गुरुवाणी को सुना और उनके गायन से प्रभावित होकर ही उन्होंने डॉक्टर के साथ एक एलबम बनाने का फैसला किया. एलबम में शामिल आठों शबदो को बहुत ही ध्यान चुना है, शास्त्रीय संगीत पर आधारित इन शबदो में वाद्य उपकरणों का उपयोग कम से कम किया गया है,जिससे धार्मिक विचारों की समृद्धि बरकरार रहे. परमार एक प्रशिक्षित संगीतकार, गीतकार, लेखक और गायक है, जिन्होंने चंडीगढ़ में चार साल तक औपचारिक रूप से संगीत का अध्ययन किया है और अब २० साल से संगीत उद्योग में काम कर रहें हैं . सुरजीत को प्रेरणा मिलती है संगीतकार ए. आर. रहमान और मोहम्मद रफी जैसी संगीत के महान हस्तियों से. डॉ. चोपड़ा के बारें में उनका कहना है कि, ''डॉ के साथ काम करना बहुत ही अच्छा रहा है अब हम दूसरी एलबम साथ करने की योजना बना रहे हैं.''

इसी समारोह में 'बालिका बचाओ'' अभियान को भी लॉन्च किया गया, इसे लॉन्च किया अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, डा. अशोक चोपड़ा और विक्रमजीत एस सहानी (सूर्य फाउंडेशन के प्रमुख) ने, जो कि एक प्रसिद्ध उद्यमी, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वो विशेष रूप से बालिका के संबंध में भारतीय समाज की मानसिकता में एक सकारात्मक बदलाव के बारे में प्रतिबद्ध है. फाउंडेशन ने दो मिनट का एक वृत्तचित्र बनाया है जिसमें अभिनेत्री प्रियंका चोपडा द्वारा एक संदेश है जो अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओ में है.

इस अवसर पर प्रियंका ने कहा कि, ''जब मैंने इस वृत्तचित्र देखा, तब मुझे लगा कि - 'क्या होता अगर मेरे माता पिता मुझे जन्म नहीं देते ? मैं यहाँ बिल्कुल नहीं पंहुच नहीं पाती, जहाँ आज मैं हूँ. मुझे लगता है कि आज लोगों को इस पर विश्वास करना चाहिए कि एक लड़की एक लड़के से ज्यादा सफल हो सकती है ...और एक बेटी बहुत ही अनमोल है किसी भी बेटे के मुकाबले.''

Sunday, March 14, 2010

नव संवत्सर 2067 की मंगलकामनाएं


मेरे सभी ब्लॉगर दोस्तों को नव संवत्सर 2066  बहुत - बहुत मुबारक हो ।
आने वाला नव संवत्सर 2067 मंगलमय हो ।
हिंदू तिथि के अनुसार नव संवत्सर का आरंभ चैत माह की प्रतिपदा से होता है  और इस बार यह इसकी शुरूआत 16 मार्च से हो रही है । इसी दिन से चैत नवरात्र भी प्रारंभ हो रहे हैं ।  हिंदुओं के लिए इस दिवस का बडा़ ही एतिहासिक महत्व है ।
ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना का दिवस ।
सतयुग में मत्स्यावतार का दिवस ।
महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत का शुभारंभ दिवस ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिवस
महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना का दिवस ।
पावन चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस ।

तो आइए जिस तरह हम जोर शोर से अंग्रेजी केलेण्डर के मुताबिक १ जनवरी को नया साल मनाते हैं । आज जरूरत है उससे कहीं ज्यादा जोश व उमंग के साथ नव संवत्सर 2067 का स्वागत करें ।
नव संवत्सर की अधिक जानकारी के लिए hindi.webduniya.com  पर अनिरुद्ध जोशी का आलेख देख सकते हैं ।

Saturday, March 13, 2010

हम भारतीयों के लिए गर्व की बात है

हाल ही में यूनेस्को यानि यूनाएटेड नेशन एजूकेशनल एंड साइंटिफिक कल्चरल ऑर्गनाइजेशन [United Nation Educattional and Scintific cultural organisation] ने घोषणा है कि भारतीय नेशनल एंथम [ भारतीय राष्ट्र गान ] विश्व भर में सबसे अच्छा एंथम है । यूनेस्को की यह घोषणा हम भारतीयों के लिए बडे़ गर्व की बात है ।

Thursday, March 11, 2010

20 मार्च को ” वर्ल्ड हाउस स्पैरो डे ”






पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विश्व भर में तरह - तरह के कदम उठाए जा रहे हैं । प्रकृति की अनुपम देन पशु - पक्षियों की तमाम प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं । विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठन इन्हें बचाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं । इसी दिशा में आगामी 20 मार्च को विश्व भर में " वर्ल्ड हाउस स्पैरो डे" मनाया जाएगा । सदियों पहले आम पक्षियों में सदन गोरैया यानि हाउस स्पैरो सबसे ज्यादा संख्या में पाईं जाती थी लेकिन अब धीरे - धीरे इनकी संख्या में भारी गिरावट आ गई है । जिसका मुख्य कारण इनके निवास स्थानों का  विनाश होना तथा युवा गोरैया के लिए भोजन न मिल पाना  माना जा रहा है । यही नहीं आजकल मोबाइल टावरों से निकलने वाली माइक्रोवेव प्रदूषण भी इनकी संख्या में कमी का मुख्य कारण है ।
इस डे को मनाने के पीछे यही उद्देश्य होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम से जुडे़ तथा सदन गोरैया के उजड़ते घरों को बचाने की दिशा में कदम उठाए जाएं ।महाराष्ट्र की नेचर फ़ोरएवर सोसायटी ने सभी राष्ट्रीय संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, क्लब और समाजों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों और दुनिया भर के लोगों को आमंत्रित किया है कि वह आगे आएं और अपने स्तर पर सदन गोरैया को बचाने की दिशा में काम करें ।