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Saturday, October 4, 2008

एक खिलाडी़ एक हसीना


एक खिलाडी़ एक ह्सीना , वाह क्या बात है !

हमारे क्रिकेट के खिलाडी़ क्रिकेट पिच पर कोई कमाल कर पाएं या न कर पाएं मगर वे मॉडलिंग के अलावा अब डांस की पिच पर खूब जलवे बिखर रहे हैं । पिछले माह २६ सितम्बर से कलर्स चैनल पर
’ एक खिलाडी़ एक हसीना ’ सीरियल खूब धूम मचा रहा है । इसकी वजह है क्रिकेटरों का हसीनाओ के साथ ताल से ताल मिलाकर थिरकना । इस फील्ड में वे खूब सफल भी हो रहे हैं ।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या क्रिकेट खिलाडि़यों का यह कारनामा बधाई के योग्य है ? एक ओर सरकार इन खिलाडि़यों पर लाखों रुपया खर्च करती है मगर उसके बदले उसे सिवाय पराजय का मुंह देखने के अलावा और कुछ नहीं मिलता । आखिर एसा क्यों ? क्या इस्के जिम्मेदार हमारे ये खिलाडी़ नहीं हैं ? थोडी़ सी भी सफलता पाने पर स्वयं सरकार इन्हें रुपयों से मालामाल कर देती है फिर इन खिलाडि़यों को यह समझ क्यों नहीं आता कि वे सिर्फ और सिर्फ खेल पर ही ध्यान दें । नाम , दाम व काम में वे किसी भी स्टार से कम नहीं हैं , वे तो पूरे भारत के हीरो हैं । फिर वे क्यों खेल से मुंह मोड़ कर मॉडलिंग व फिल्मी दुनिया की चमक - दमक की तरफ आकर्षित हो जाते हैं ?
यह एक ऎसा ज्वलंत मुद्दा है कि इस तरफ सरकार व क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को ध्यान देते हुए कुछ स्ख्त नियम बनाने चाहिए । मेरे विचार से सरकार व बोर्ड को मिलकर यह पॉलिसी तय करनी चाहिए कि यदि कोई भी खिलाडी़ एक खेल जीतकर आता है तो उसका स्वागत सत्कार करके ताड़ के पेड़ पर नहीं चढा़ना चाहिए । खिलाडि़यों की सुख सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाए मगर उन पर इनाम के तौर पर रुपयों की बरसात न की जाए बल्कि उन्हें खेल की बारीकियों से ज्यादा से ज्यादा परिचित कराने की व्यवस्था की जाए । उन्हें ऎसे साधन मुहैया कराए जाएं जिनसे खेल की रणनीति को और पुख्ता बनाया जा सके । दूसरे खिलाडि़यों [किसी भी खेल से सम्बंधित हों ] के मॉडलिंग , टी वी सीरियल्स व फिल्मों में काम करने को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए । यह तय किया जाए कि जो भी खिलाडी़ इस नियम का पालन नहीं करेगा उसे उसके खेल से निकाल दिया जायेगा । यह तय है कि कोई भी व्यक्ति दो या तीन नावों मे सवार होकर सफर करनेब का प्रयास करेगा वह कभी भी अपनी मंजिल को नहीं प सकेगा । ठीक यही बात हमारे खिलाडि़यों पर भी लागू होती है ।
हालांकि किसी की लाइफ में दखलंदाजी करने का हमारा कोई हक नहीं बनता लेकिन जब बात हमारे देश की आन - बान व शान की हो तो चूप भी नहीं रहा जा सकता । अब चूंकि खिलाडी़ हमारे देश की धरोहर हैं और उनके खेल पर देश की शान निर्भर करती है तो उन्की कमियों को सुधारना देश के हर नागरिक का कर्तव्य बन जाता है ।