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Sunday, September 28, 2008

मेरी बेटी सबसे प्यारी - सबसे न्यारी


आज बेटियों का दिन है , मैं तो शायद भूल ही गई थी किंतु मुझे मेरी बेटी ने याद दिलाया कि मम्मा आज पता है आपको क्या है --” आज डॉटर डे ” है । मैंने उसे डॉटर डे विश किया । मेरी बेटी बहुत खुश हो गई ।

मेरी हर-संभव यही कोशिश रहती है कि जिन अभावों तथा लड़की होने के कारण मॉं - बाप पर एक बोझ के रूप में मैं पली -बढी़। बचपन से लेकर आज तक मॉं के प्यार के लिए मैं तरस गई हूं ,किंतु कम से कम मैं अपनी बेटी को इतना प्यार दूं कि उसे कभी अपने लड़की होने का मलाल न हो । मेरे पास एक बेटा है और एक बेटी । मै दोनों में कोई फर्क नहीं समझती । मेरे लिए दोनों बराबर हैं ।

इस सबके बावजूद मुझे हर पल एक सवाल परेशान किए रहता है -कि लड़कियॉं तो पराया धन हैं , एक ना एक दिन उन्हें दूसरे घर में जाना ही है । जिस बेटी को हम अपनी ममता की छांव में पाल -पोस कर बढा़ करते हैं और बढे़ होते ही उसे कर देते हैं किसी और के हवाले ,ऎसा क्यों ? माना कि यह परम्परा प्राचीन समय से चली आ रही है और हम सब इस परम्परा का निर्वाह करते चले जा रहे हैं । मगर कया कभी किसी ने ये सोचा है कि बेटियों को ही क्यों परायाधन कहा गया है बेटों को क्यों नहीं ?

आज जब हम लड़के - लड़कियों में कोई फर्क नही मानते , उनका पालन - पोषण भी एक समान करते हैं तो ऎसे में लड़कियों को पराया धन क्यों माना जाए ?यह एक बहस का मुद्दा है ।

क्या कोई मुझे यह बता सकता है कि लड़कियों को परायाधन किसने और क्यों बनाया ?

सही मायने में ”डॉटर्स डे” मनाने के पीछे का मूल कारण यह है कि जो माता - पिता आज भी पुरानी व रूढि़वादी परम्पराओं के चलते लड़कियों को उनके हिस्से का प्यार व हक नहीं दे रहे हैं तथा ऎसे लोग आज भी लड़कियों को बोझ समझते हुए आज भी उन्हें इस दुनिया में आने से पहले ही मारकर उनके जीने का हक छीन रहे हैं । ऎसे लोग खबरदार हों और कन्या भ्रूण - हत्याओं को विराम दें । तभी इस डे को मनाने की सार्थकता होगी अन्यथाआने वाले समय में ऊंट किस करवट बैठेगा यह किसी सेर छिपा नहीं है ..........।

मेरी आठ वर्षीय बेटी ने पिछले दिनों एक पेंटिंग बनाई थी आज में वो पेंटिंग अपने ब्लॉग पर दे रही हूं बताइयेगा कैसी लगी ?

Tuesday, September 23, 2008


लगता है चाइनीज हर कदम पर तथा हर क्षेत्र में भारत तो क्या अन्य देशों को भी पीछे छोड़ रहे हैं । पिछले दिनों हुए बीजिंग ओलम्पिक खेलों में सबसे ज्यादा १०० पदक लेकर चीन ५० से ज्यादा देशों की पदक तालिका में पहले नम्बर रहा , जो कि किसी से छिपा नहीं है । आजकल भारत में चाइनीज आइटमों का ही बोलबाला है । सबसे कम जनसंख्या वाले देश चीन की जितनी तारीफें की जाएं वे कम ही दिखेंगी ।

हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक एक ३६ वर्षीय महिला क्सिया एफेंग के सिर के बाल इतने लंबे हैं कि उसे बाल बनाने के लिए स्टूल पर खडा़ होना पड़ता है । १.६ मीटर लंबी इस महिला के २.४२ मीटर लंबे बाल है । जैसा कि आप चित्र में देख रहे हैं ।

Monday, September 22, 2008

एक बिहारी, सौ पर भारी...

फिल्म भोले शंकर ने बिहार में रिलीज़ होने के हफ्ते के भीतर ही कामयाबी की नई इबारत लिख दी है। हालांकि रमज़ान का महीना होने की वजह से तमाम मुस्लिम भाई सिनेमाघरों की तरफ रुख नहीं कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भोले शंकर ना सिर्फ कामयाबी का परचम लहराते हुए दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गई है, बल्कि पटना से मिल रही खबरों के मुताबिक इसने पहले हफ्ते में बॉक्स ऑफिस पर कमाई के लिहाज से फिल्म विधाता के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है।
फिल्म भोले शंकर को बिहार में भोजपुरी के शो मैन अभय सिन्हा ने रिलीज़ किया है और ये अभय सिन्हा की कारोबारी रणनीति का ही नतीज़ा रहा कि इसने भोजपुरी सिनेमा के चढ़ते सितारे निरहुआ की चमक को भी इस बार फीका कर दिया। भोले शंकर से हफ्ता भर पहले बिहार में रिलीज़ हुई निरहुआ की फिल्म खिलाड़ी नंबर वन कमाई के मामले में मिथुन चक्रवर्ती और मनोज तिवारी स्टारर भोले शंकर के सामने कहीं नहीं टिक पाई। भोले शंकर को बिहार में दो दर्जन से ज़्यादा थिएटर्स में एक साथ रिलीज़ किया गया और इसके सारे के सारे प्रिंट्स दूसरे हफ्ते भी सिनेमाघरों में अपना जादू बिखेर रहे हैं। फिल्म भोले शंकर ने जो रिकॉर्ड कमाई की है, उसमें ये बात गौर करने लायक है कि बिहार में बाढ़ के चलते ये फिल्म उत्तरी बिहार के तमाम क्षेत्रों में रिलीज़ नहीं हो पाई, दूसरे रमज़ान का महीना होने के कारण फिल्म दर्शकों का एक बड़ा समूह थिएटरों तक पहुंचा ही नहीं। भोले शंकर को मिली सफलता में इसके संगीत और मिथुन चक्रवर्ती के संवादों का खासा योगदान माना जा रहा है। फिल्म के एक सीन में मराठी बोलने वाले बदमाश भोले यानी मनोज तिवारी की पिटाई करते दिखाई गए हैं और यहां शंकर यानी मिथुन चक्रवर्ती आकर उसे बचाते हैं। बदमाशों की पिटाई से पहले वो दो डॉयलॉग बोलते हैं, “बिहार के पट्ठा का घुटना फूट जाइ तो समझ पूरा हिंदुस्तान की किस्मत फूट जाई” और “एक बिहारी – सौ पर भारी”, ये दोनों डॉयलॉग बिहार में बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर चढ़ चुके हैं। यहां तक कि देश के पहले भोजपुरी मनोरंजन और समाचार चैनल महुआ पर इन दोनों संवादों की लोकप्रियता को लेकर गुरुवार की रात खास तौर से कार्यक्रम प्रसारित किए गए।
इस बारे में फिल्म भोले शंकर के निर्माता गुलशन भाटिया से संपर्क किए जाने पर उन्होंने फिल्म की कामयाबी के लिए बिहार के सभी दर्शकों का आभार जताया और कहा कि वो आगे भी भोजपुरी सिनेमा से सहयोग मिलने पर भोजपुरी फिल्मों का निर्माण जारी रखना चाहेंगे। उधर, फिल्म के निर्देशक पंकज शुक्ल ने मुंबई से फोन पर जानकारी दी कि फिल्म भोले शंकर को बिहार में मिली कामयाबी जल्द ही देश के दूसरे हिस्सों में भी दोहराई जाएगी। उन्होंने बताया कि फिल्म को दिल्ली-यूपी और पंजाब में भी जल्द ही रिलीज़ किया जाएगा, जबकि मुंबई में ये फिल्म दीपावली के आसपास रिलीज़ की जाएगी। फिल्म के हीरो मनोज तिवारी भोले शंकर की कामयाबी को लेकर काफी खुश हैं और उनका कहना है कि भोजपुरी सिनेमा में आने वाला समय पारिवारिक और रिश्तों की मजबूती दिखाने वाली फिल्मों का है। फिल्म के दूसरे हीरो मिथुन चक्रवर्ती इन दिनों दक्षिण अफ्रीका में शूटिंग कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने वहीं से भोले शंकर को मिले प्यार के लिए समूचे बिहार का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने ये भी कहा कि बिहार में बाढ़ की विभीषिका से हुए नुकसान से वो निजी तौर पर काफी दुखी हैं और फिल्म भोले शंकर को होने वाले मुनाफे का दस फीसदी हिस्सा बिहार के बाढ़ पीड़ितों को दिए जाने के फिल्म निर्माता गुलशन भाटिया के फैसले को उन्होंने दूसरे भोजपुरी फिल्म निर्माताओं और वितरकों के लिए एक मिसाल बताया।

Wednesday, September 3, 2008

गणपति बप्पा मोरया !!!!!!!!!



मेरे सभी ब्लॉगर दोस्तों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं ।

विघ्न - विनाशक गणेश भगवान हम सबके जीवन में छाए अंधियारे को दूर करें और रोशनी का संचार करें । इन्हीं कामनाओं के साथ , एक बार फिर बोलो --

” गणपति बप्पा मोरया ”