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Tuesday, November 23, 2010

पापा चाहते थे कि बिटिया बने प्रोफेसर ...............................................


मन्नत
यह नाम है उस पंजाबी अभिनेत्री का, जिनकी जल्दी ही पंजाबी फ़िल्म ''तेरे इश्क नचाया'' रिलीज़ होने वाली है. मन्नत एक अच्छी अभिनेत्री के साथ-साथ गायिका भी हैं. सुखी के नाम से उनके पंजाबी लोक गीतों के एलबम भी आयें है व १०० के करीब म्यूजिक वीडियो में भी वो काम कर चुकी हैं. इसके अलावा उन्होंने टी वी धारावाहिक में भी काम किया है. दिल्ली व पंजाब में थियेटर कर चुकी मन्नत के पापा चाहते थे वो एक प्रोफ़ेसर बने लेकिन बन गयी वो एक अभिनेत्री.  

''तेरे इश्क नचाया''  प्रेम त्रिकोण पर बनी फ़िल्म हैइस फ़िल्म में मन्नत के साथ दो हीरो हैं एक तो हैं दक्ष अजीत सिंह और दूसरे हैं गेवी चहल. मन्नत से पूछने पर कि इस फ़िल्म में उनकी क्या भूमिका है? और क्यों इस फ़िल्म में उन्होंने काम करना स्वीकार कियाउन्होंने बताया,''  इस  फ़िल्म में  कमल नाम की युवती की भूमिका है मेरी. असली जिन्दगी से बहुत मिलती जुलती है कमल की भूमिका. क्योंकि मैं भी ऐसी ही हूँ. इसलिए मैंने इस फ़िल्म में काम करना पसंद किया. ''   
आपके साथ इस फ़िल्म में दो हीरो हैं, तो किसके साथ आपको मजा आया काम करके? मन्नत ने बताया कि, ''मुझे दोनों के साथ ही बहुत मजा आया काम करके. दक्ष व गेवी दोनों को ही मैं जानती हूँ और दोनों के साथ मैं पहले भी काम कर चुकी हूँ.''        
इसके  अलावा  ऐसा  क्या  है इस फ़िल्म में ? जो  कि दर्शक  इस फ़िल्म को पसंद करेक्योंकि एक तो यह फ़िल्म  पिछली  सभी  पंजाबी  फिल्मो  की  तरह  नही है. क्योंकि इसमें  सब  अभिनेता  अभिनेत्री हैं कोई गायक या गायिका नही है. जैसा कि हर पंजाबी फ़िल्म में होता है कि कोई गायक या गायिका ही फ़िल्म में हीरो या हीरोइन होती है. इसके अलावा फ़िल्म की कहानी भी बहुत ही अच्छी है. गीत-संगीत भी अच्छा है. फ़िल्म की शूटिंग बैंकॉक में भी हुई है. इस फ़िल्म में वो सब है जो दर्शक  देखना चाहते हैं. एक अच्छी प्रेम कहानी है और भी बहुत कुछ है.'' 
आपने थियेटर भी किया है, म्यूजिक विडियो भी किये हैं, और फ़िल्म में भी अभिनय किया है व टी वी में भी काम किया है, और आप गाती भी हैं, तो आपको सबसे ज्यादा कहाँ मजा आया काम करके ? ''सबका अपना-अपना मजा है, मुझे सभी जगह मजा आया काम करके. मैं जहाँ भी काम करती हूँ उसमें पूरी तरह से डूब जाती हूँ.''        
इस फ़िल्म के बाद किन फिल्मों में आप काम कर रही हैं? पूछने पर मन्नत ने बताया कि, ''इसके बाद मेरा एक एलबम आने वाला है और टी वी धारावाहिक में भी अभिनय कर रही हूँ. इसके अलावा फ़िल्म पर भी बात हो रही है. ''

Wednesday, November 10, 2010

फंस गया रे ओबामा की मुन्नी ने कैलाश को आश्चर्य में डाला

आज जब हर जगह ओबामा की ही चर्चा है और ऐसे में हमारे यहाँ भी एक हिंदी फ़िल्म बनी है ''फंस गया रे ओबामा''  नाम से. जिसका है यह गाना ''सारा प्यार है बेकार पैसा अगर न पल्ले, बड्डी दे दे पैसे तेरी बल्ले बल्ले'' इस गाने को गाया है गायक कैलाश खेर ने.
आप कहेगें तो इसमें ऐसा क्या खास है?  कैलाश तो हमेशा ही बेहतरीन गाते हैं. लेकिन यह गाना क्यों खास है यह बताते है खुद गायक कैलाश खेर. उनके अनुसार,''  इस गीत को मेरे साथ गाया है मुन्नी मैडम ने, अरे वो बदनाम वाली मुन्नी यानि मलायका अरोरा नही  बल्कि नेहा धूपिया ने. बस जी गाया क्या है? गाकर दिखाया है कि कितना  सुरीला  वो गा सकती हैं और कल को वह खुद का एक एलबम भी निकाल सकती हैं.''  इस फ़िल्म में नेहा लेडी गब्बर सिंह बनी हैं. 
''सारा प्यार है बेकार पैसा अगर न पल्ले, बड्डी दे दे पैसे तेरी बल्ले बल्ले'' इस गीत को लेकर कैलाश खेर बहुत ही उत्साहित हैं  उनका कहना है, ''फ़िल्म बहुत ही ज्यादा फनी है, कहानी भी मेरठ की दिखाई  है और हम भी मेरठ के हैं तो लिहाजा कुछ तो फर्ज बनता है हमारा अपने शहर की ओर भी कि हम इस फ़िल्म कि चर्चा जरुर करे   और हाँ नेहा ने इस  गाने के लिए पूरा  दिन  रखा था  लेकिन  बतौर  रैप  गायिका  उन्होंने  यह गाना १५ मिनट में रिकॉर्ड  कर लिया.'उनका यह गाना सुनकर  कैलाश खेर भी आश्चर्य में पड़ गये.         

Tuesday, November 2, 2010

जीते - जागते स्टैचू.........

ना ... ना.... ना...ये  कोई सरेआम कत्लेआम नहीं हो रहा है बल्कि ये सिर्फ स्टैचू  है इसे कह सकते हैं बनाने वाले की कला का कमाल ।क्यों है ना आप भी चौंक गए........


और ये साहब ना तो यहां बैठकर किसी का इंतजार कर रहे हैं और ना ही बीच रास्ते में बैठकर भीख मांग रहे हैं । सब कलाकार की कला का नमूना है ।

घर की रौनक बढ़ाए बंधनवार

दीपावली का त्यौहार हो और घर की साफ - सफाई के बाद घर के मुख्य द्वारों पर बंदनवार ना हो तो घर की सजावट में रौनक नहीं आती । एक समय था जबकि शुभ - लाभ लिखी व लक्ष्मी - गणेशजी के चित्रों से सजी सीधी सपाट व सामान्य तरह की बन्दनवार से लोग अपने घरों को सजाते - संवारते थे । लेकिन समय परिवर्तन के दौर से बंदनवार भी अछूती नहीं रह सकी । समय के साथ - साथ बंदनवार भी कई रूपों , डिजायनों , आकारों व रंगों के साथ बाजार में दस्तक दे रही हैं ।
इस सबंध में मेरी एक रिपोर्ट देखिए नई दुनिया में----
http://www.naidunia.com/Details.aspx?id=193101&boxid=30244366