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Wednesday, September 1, 2010

लो फिर आ गया ”इमोशनल अत्याचार ” करने


आज कल जिसे देखो बिंदास टी वी पर प्रसारित कार्यक्रम इनोशनल अत्याचार का दीवाना बना हुआ है विशेषकर युवा वर्ग, जो कि खुद ही इस कार्यक्रम का केंद्र भी हैं. क्या यह कार्यक्रम सच में किसी पर हुए इमोशनल अत्याचार को दिखाता है किसी भी दृष्टि कोण से देखकर ऐसा तो नजर बिल्कुल नही आता, इसे देख कर तो यही लगता है कि यह केवल सेक्स की बात ही दर्शको को दिखाता है. हर एपिसोड में एक लड़का और और लड़की केवल किस करते या सेक्स की बातें ही करते नजर आते हैं. भावानाएँ तो कही भी नजर नही आती हैं ?
क्या आज के युवा इतने बेवकूफ हैं कि एक दो बार मिली किसी भी लड़की या लड़के से बस सेक्स के बारें में ही बात करते हैं. और कोई भी लड़का किसी भी लड़की से ४-५ तमाचे खाने के बाद भी हँसता रहता है, क्या सच में ऐसा होता है ?
हम क्या दिखा रहे हैं टी वी पर युवाओं को, अगर यही दिखाना है तो इसका नाम बदल देना चाहिए. कम से कम इमोशन के नाम पर सेक्स कि बाते तो नही देखने को मिलेगी, और अगर यह कार्यक्रम इसी नाम से दिखाना है तो चैनेल पर कम से कम इसके प्रसारण का समय तो बदल ही देना चाहिए. देर रात इसे दिखा सकते है कम से कम किशोर बच्चे तो इसे देखने से बचेगे, क्योंकि कार्यक्रम के निर्माता का कहना है कि आज के युवा बहुत ही प्रैक्टिकल व पाजिटिव हैं उनको अपनी किसी भी भावना को दिखाने में किसी भी तरह की कोई शर्म नही आती. और उन्हें सच कहने में किसी भी प्रकार की कोई शर्म नही आती है ?
''इमोशनल अत्याचार'' का सीजन टू आरम्भ हो चुका है और पहले ही एपिसोड के बाद इस चैनेल की लोकप्रियता और भी बढ गयी है. क्या यह सब केवल अपने चैनेल की लोकप्रियता बढाने के लिए ही है.
कार्यक्रम के होस्ट प्रवेश राना व लडकियों के बीच भी कुछ ऐसी बाते होती हैं जिन्हें अनजान लोग आपस में शायद नही कर सकते हैं. लडकियां भी ऐसी-ऐसी बाते व गाली देती हैं जिन को छिपाने के लिए बीप की बार बार आवाजे आती हैं. क्या यह सच में यह इमोशनल अत्याचार है या सेक्स अत्याचार.