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Tuesday, November 2, 2010

जीते - जागते स्टैचू.........

ना ... ना.... ना...ये  कोई सरेआम कत्लेआम नहीं हो रहा है बल्कि ये सिर्फ स्टैचू  है इसे कह सकते हैं बनाने वाले की कला का कमाल ।क्यों है ना आप भी चौंक गए........


और ये साहब ना तो यहां बैठकर किसी का इंतजार कर रहे हैं और ना ही बीच रास्ते में बैठकर भीख मांग रहे हैं । सब कलाकार की कला का नमूना है ।

घर की रौनक बढ़ाए बंधनवार

दीपावली का त्यौहार हो और घर की साफ - सफाई के बाद घर के मुख्य द्वारों पर बंदनवार ना हो तो घर की सजावट में रौनक नहीं आती । एक समय था जबकि शुभ - लाभ लिखी व लक्ष्मी - गणेशजी के चित्रों से सजी सीधी सपाट व सामान्य तरह की बन्दनवार से लोग अपने घरों को सजाते - संवारते थे । लेकिन समय परिवर्तन के दौर से बंदनवार भी अछूती नहीं रह सकी । समय के साथ - साथ बंदनवार भी कई रूपों , डिजायनों , आकारों व रंगों के साथ बाजार में दस्तक दे रही हैं ।
इस सबंध में मेरी एक रिपोर्ट देखिए नई दुनिया में----
http://www.naidunia.com/Details.aspx?id=193101&boxid=30244366