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Wednesday, May 4, 2011

...........बादलों पे हो घर अपना.............



सपने हर कोई संजोता है , यह बात और है कि किसी के सपनों को पंख लग जाते हैं तो  किसी के सपनों के पंख कतर जाते हैं । फिर भी पंख कतरे जाने के डर से भला कोई सपने संजोना छोड़ दे.. नहीं न । वैसे हम जो सपने देखते हैं उनमें कुछ तो ऎसे होते हैं जिन्हें पूरा करने में हमारा बस चलता है । लेकिन कुछ हमारे बस के बाहर होते हैं ....शायद कुछ ऎसा ही एक सपना है जो केवल मैं ही नहीम आप लोग भी देखते होंगे । जी हां ........काश बादलों के ऊपर अपना घर हो तो सोचो कैसा होगा ? खैर अभी आपने ऎसा अजूबा नहीं सोचा है तो इन तस्वीरों को देखकर जरूर सोचेंगे कि काश ऎसा हो तो कैसा हो.............