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Friday, August 21, 2009

मंत्रों में शक्ति

हमारे जो ब्लॉगर मंत्रों में विश्वास रखते हैं उनके लिए यह बहुत अच्छी खबर है , और जो विश्वास नहीं करते वे इसे आजमा कर देख लें तो कोई हर्ज नही है।एक ओर जहां मेडिकल साइंस तरह - तरह की खोज करके विभिन्न तरह की बीमारियों का इलाज सरल से सरल व त्वरित आराम के नुस्खे तलाश करने में जुटी हुई है । वहीं दूसरी ओर बाबा रामदेव योग और आयुर्वेद के माध्यम से लाइलाज बीमारियों का सफल इलाज करने का दावा कर रहे हैं । वहीं इधर ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी तमाम कष्टों का उपाय मंत्रों से करने का दम भर रहे हैं ।उनके अनुसार आज देशभर में लोग तरह - तरह की बीमारियों से बेहद पीडित हैं ऎसे समय में उन्होंने अपने मंत्रों के चमत्कारी प्रभाव को जनकल्याण के लिए लोगों तक पहुंचाने का बीडा़ उठाया है । वह बताते हैं कि स्वाइन फ्लू से लेकर सांस आदि जैसी अन्य खतरनाक बीमारियों का इलाज उनके दिव्य बीज मंत्रों तथा आयुर्वेदिक दवा से संभव है। स्वामीजी ने अपनी बीज मंत्र से सबंधित चिकित्सा पद्धति खास से लेकर आम जन तक पहुंचाने के लिये पिछले दिनों यहां कांस्टीट्यूशन क्लब में पत्रकारों से बात की । इस बातचीत के दौरान उन्होंने उन लोगों के लिखित पत्र भी दिखाए जिन्हें स्वामीजी से मंत्र प्राप्त करने के बाद अलग - अलग दिशाओं में आराम मिला अथवा फायदा हुआ । स्वामीजी के अनुसार उनकी यह मंत्र चिकित्सा पद्धति ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में काफी सराही गई है ।
एक जवाब में भगवान लक्ष्मी नारायण धाम के पथ प्रणेता स्वामीजी ने बताया कि तुलसी के ५-६ पत्ते,एक पत्ता पुदीना और अदरक ,इन तीनॊं का रस निकालकर तथा इस रस के बराबर शहद मिलाकर पेस्ट तैयार करें । अब अपने धर्म के अनुसार अपने प्रभु को याद करें फिर स्वामीजी से लिया हुआ बीज मंत्र का नौ बार जाप करने के पश्चात तैयार दवा को पी लें । लगभग दो - तीन दिनों में ही स्वाइन फ्लू ही नहीं जो भी बीमारी होगी उससे आप मुक्त हो जायेंगे । उन्होंने अपने मंत्रोपचार पर जोर देते हुए कहा कि जहां डॉक्टर हार जाते हैं तब वे भी मरीज को दुआ करने की सलाह देते हैं ।
स्वामी विभिन्न टी वी चैनलो पर प्रतिदिन समागम करते हैं इसके अलावा वे जगह - जगह दुख निवारण समागम भी करते रहते हैं जहां लोग उनसे मिलकर अपनी परेशानी बताते हैं तब स्वामीजी उन्हें बीज मंत्र देते हैं । इनका अगला समागम१२-१३ सितंबर को पंजाब , १९ - २० सितंबर को हिमांचल प्रदेश में होगा । ट्रस्ट द्वारा प्रभु कृपा नाम से एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन भी दिल्ली से किया जा रहा है ।

Thursday, August 20, 2009

सरनेम तेरी महिमा अपरंपार

आज मैं चोखेरबाली ब्लॉग पर गई और प्रतिभाजी द्वारा उठाए गए मुद्दे ’सरनेम की महिमा’ पढा ,वाकई प्रतिभाजी ने यह बहुत ज्वलंत मुद्दा उठाया है।इसे पढकर मुझे भी एक वाकया याद आ गया , मैं शादी से पहले अखबार के दफ्तर में काम कर चुकी हूं तब मैं सरनेम सिंघल की जगह अग्रवाल लगाती थी । खैर शादी के बाद मेरे कुछ सहकर्मियों को इस बात की जानकारी नहीं थी सो एक्बार मेरे एक सह्कर्मी का फोन आया तो मेरे पति ने ही फोन रिसीव किया , मेरे I सहकर्मी ने मुझे मेरे पहले के सरनेम से याद किया उस वक्त तो मेरे पतिदेव ने मुझे फोन का रिसीवर दे दिया लेकिन बाद में सरनेम को लेकर मेरी काफी खिंचाई की । उस समय मैंने इस बाद को तूल देने की बजाए वहीं खत्म किया लेकिन मुझे इस बात का एहसास भी हो गया कि पुरुष वर्ग कितनी भी खुली मानसिकता वाला बने लेकिन एसा होता नहीं है ।
इस समाज में पुरुष वर्ग स्वयं को भले ही कितना खुले विचारों का कह ले , मगर आज भी वह पुरानी सदी के दकियानूसी विचारों की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाया है । हां , वह खुले दिमाग का है जरूर किंतु बाहरी दुनिया के लिए । जब अपने घर की बात आती है तो उसे साडी में लिपटी और पति की हर बात को सर झुका कर मानने वाली अनपढ नहीं किंतु अनपढ सरीखी बीबी की दरकार होती है । जबकि घर से बाहर वह एड्वांस लडकी में अपनी बीबी को तलाशता है या कहिए कि उसे वही लडकी सबसे अच्छी लगती है । आज के पुरुष दोहरी चाल चलते नजर आते हैं , एक ओर तो उन्हें कमाऊ बीबी की तलाश रहती है , वहीं दूसरी ओर वे बीबी का किसी भी पर पुरुष से बोलना - हंसना जरा भी पसंद नहीं करते । अब चूंकि बात उठी है पत्नी द्वारा शादी के बाद सरनेम न बदलने पर परिवार के टूटने की , मतलब या तो पत्नी सरनेम बदले अन्यथा पतिदेव नाराज होकर तलाक दे देंगे । यानि पतिदेव को इसमे अप्ना अहं और अपना अस्तित्व नजर आता है उसकी नजरो में पत्नी की कोई अहमियत नहीं ।मैं पूछती हूं कि आखिर पतियों को यह हक किसने दिया है ? क्या किसी मैरिज एक्ट में ेसा लिखा गया है ? जबकि मेरि समझ से शादी के बंधन मे बंधते समय पति - पत्नी दोनोसे एक - दूसरे का ख्याल रखने सबंधी सात वचन लिए जाते हैं नाकि पति दवारा पत्नी पर अपनी मनमानियां थोपने के । दरअसल सदियों से पुरुष्वादी मानसिकता ही अपना एकछत्र राज करती आई है जिसने कदम - कदम पर स्त्रियों को नीचा दिखाने तथा अपने प्रभुत्व मे जकड कर रखा है । आज भले ही समय ने करवट ले ली है और स्त्रियों ने सदियों से चली आ रही पुरुषवादी मानसिकता पर काफी हदतक अंकुश लगाया है लेकिन फिर भी आए दिन पुरुषों की ओछी मानसिकता के दर्शन होते ही रहते हैं । मैं कहती हूं कि यदि पत्नी को शादी के बाद सरनेम बदलने से कुछ प्फर्क न पडता हो तो सरनेम बदलने में कोई हर्ज नही । लेकिन हां , कईबार नौकरीपेशा पत्नी को सरनेम बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है उसे तमाम कागजाती कार्यवाहियों से दो - चार होना पडता है एसी परिस्तिथियों में पति को पत्नी का साथ देना चाहिए ना कि सरनेम को अपनी मूंछ का सवाल बनाए । यदि जो पति अपनी पत्नी की इस पीडा को न समझे और अपनी बात पर डटा रहे तो ऎसे पति को सबक सिखाना भी बहुत जरूरी है । अतः अमुक बहन अपनी आवश्यकता को जांचे और उचित कदम उठाने से न घबराएं ।

Monday, August 17, 2009

शाहरूख और काजोल की जोडी एक बार फिर मचाएगी धूम

एक लंबे अंतराल के बाद शाहरूख और काजोल की जोडी हमें देखने को मिलेगी
" माय नेम इज खान" फिल्म में , जो जल्दी ही प्रदर्शित होने वाली है । डीडीएलजे जैसी कई हिट फिल्में देने वाली इस जोडी के जबरदस्त फैन हैं । इस जोडी के साथ फिल्म निर्देशक करण जौहर भी हैं , जो कि फैमिली ड्रामा की शैली को छोडकर ’माय नेम इज खान ’ से एक नई शुरूआत करने की कोशिश कर रहे हैं, । करण के शब्दों में यह फिल्म रोमांटिक और इमोशनल होने के बावजूद एक अलग ही किस्म की है ।
जानकारी के मुताबिक पिछले बीस सालों में किसी और जोडी ने इतनी सफलता नहीं पाई जितनी कि शाहरूख - काजोल की जोडी ने पाई है । लगभग आठ सालॊं के बाद यह जोडी एक बार फिर बॉलॊवुड में हंगामा मचाने आ रही है ।
दरअसल अजय देवगन के साथ शादी के बाद काजोल अपनी गृहस्थी में रम गई थीं । लेकिन अभिनय का कीडा ज्यादा देर तक कजोल के अंदेर दब न सका और अंतत: काजोल निकल पडी हैं अभिनय की डगर पर । देखते हैं काजोल के अभिनय में दमखम अब भी पहले जैसा ही है या कुछ बदलाव आया है , या फिर यह जोडी अभी भी पहले जैसी कामयाबी के परचम लहरा पाएगी या नहीं ?
यह सब फिल्म के प्रदर्शित होने के बाद पता चल जाएगा लेकिन फिलहाल इस जोडी के आने की खबर से फिल्मी दर्शकों में हलचल मच गई है और ये बडी बेसब्री से अपनी चहेती जोडी को देखने के लिए बेताब हैं ।

Saturday, August 15, 2009

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं








जरा आंख में भर लो पानी ,
जो शहीद हुए हैं उनकी ,
जरा याद करो कुर्बानी.




Friday, August 7, 2009

Numbers




Letter D comes for the first time in Hundred

Letters A, B and C do not appear anywhere in the spellings of 1 to 999

Letter A comes for the first time in Thousand

Letters B and C do not appear anywhere in the spellings of 1 to 999,999,999

Letter B comes for the first time in Billion

AndLetter C does not appear anywhere in in the spellings of entire English Counting

Sunday, August 2, 2009

हैप्पी प

मेरे सभी ब्लॉगर साथियों को दोस्ती का यह दिन बहुत - बहुत मुबारक हो
आज अवकाश का दिन होने की वजह से कई दोस्तों की मनोकामनाएं मन की मन में रह गई होंगी । वह जिस तरह इस दिन को मनाने की हसरत कर रहे होंगे उनकी वो हसरत पूरी होने में इस रविवार ने खलल डाल दी । खैर मायूस होने की किसी को कोई जरूरत नही है । यह दोस्ती का दिन एक नहीं पूरे सप्ताह भर मनाया जाता है ।आज इस मौके पर शोले फिल्म का गाना ”ये दोस्ती हम नहीं भूलेंगे...........”

Saturday, August 1, 2009

चेस फिल्म की शूटिंग के दौरान अनुज सक्सॆना घायल हुए

पिछले सप्ताह मुंबई स्थित बर्सोवा के खोजा में चल रही निर्देशक जगमोहन मुंदरा की फिल्म ’चेस’ की शूटिंग के समय अनुज सक्सेना को चोट लग गई । जिस समय अनुज को चोट लगी तब वह एक एक्शन सीन शूट कर रहे थे । उन्हें लडाई के एक सीन में सोफे पर गिरना था , सोफे पर गिरये समय अनुज के सिर में सोफे कीलकडी लग गई और उनके सिर से खून बहने लगा । लेकिन फिल्म यूनिट के सदस्यॊं ने तत्परता दिखा कर अनुज को तुरंत मेडीकल की व्यवस्था दिलाई । जिससे अनुज अब ठीक हैं और ऐसा कहा जाता है कि वे कल १ अगस्त को कश्मीर में होने वाली शूटिंग में भी चले गये हैं । ईश्वर करे वह जल्दी ही एकदम ठीक हों औरफिल्म यूनिट के सदस्यों को होने वाली दिक्कतों से बचाएं।वैसे तो अनुज ने काफी हिम्मत दिखाई है । उन्हें बहुत - बहुत धन्यवाद !