Followers

Monday, June 9, 2008

देखते ही बनता है देशभक्ति का जज्बा

तालियो की गड.गडाहट और हिन्दुस्तान जिन्दाबाद के नारो के बीच समूचा वातावरण डूब जाता है देश -भक्ति की भावना मे । जी हा कुछ ऎसा ही नजारा है अमृतसर से मात्र ३६ किलोमीटर दूर तथा भारत के अन्तिम रेलवे स्टेशन अटारी के समीप ’बाघा बार्डर’ का ।

भारत - पाकिस्तान की सीमा के नाम से पहचाने जाने वाले बाघा बार्डर पर देशभक्ति का जज्बा एक_दो दिन नही बल्कि प्रतिदिन उमड.ता देखा जाता है । वैस्णो देवी के दर्शन करने के बाद वापिसी के समय हमने बाघा बार्डर देखने का प्रोग्राम बनाया । हम शाम के छ्ह बजे बाघा बार्डर पहुचे । वहा का नजारा देखकर मे हैरान रह गई , दरअसल मैने सपने मे भी नही सोचा था कि वहा इतनी भीड. एकत्रित होती होगी । दोनो ओर यानि भारत - पाकिस्तान की सीमा पर लोगो की भारी भीड. एकत्रित थी , दूर - दूर तक पैर रखने को भी जगह नही थी । दरअसल यहा भारत - पाकिस्तान दोनो के झन्डे सुबह नौ बजे लगाए जाते है तो शाम को छह बजे बडे. सम्मान के साथ उतारे जाते है । मेरा अनुमान था कि रोजाना झन्डे लगाने व उतारने की रस्म सेना के जवानो की देखरेख मे आम साधारण औपचारिक रस्म होती होगी , लेकिन मेरी यह धारणा गलत साबित हुई नीचे से ऊपर तक दर्शक दीर्घाऎ खचाखच भरी हुई थी । दोनो अओर के लोग अपने - अपने मुल्क की सपोर्ट मे नारे लगा रहे थे , उनका जोश देखने काबिल था । उधर लाउडस्पीकर पर बजते देशभक्ति के फिल्मी गीत पूरी फिजा मे कौमी जज्बे का एक नया जोश पैदा कर रहे थे तो वही दर्शको के हाथ मे लहराता तिरन्गा सबका ध्यान अपनी अओर खीच रहा था । जैसे - जैसे झन्डा उतारने का समय नजदीक आ रहा था वैसे - वैसे वातावरण मे उत्तेजना और उस पल को देखने व अपने कैमरो मे कैद करने की उत्सुकता दर्शको के बीच बड.ती जा रही थी । बी एस एफ के छह फुट लम्बे जवान , उसकी रन्गबिरन्गी सेरेमोनियल ड्रेस , हवा मे नब्बे डिग्री तक एक झटके से सीधे ऊपर जाते उसके पैर बरबस ही वहा उपस्थित लोगो का ध्यान अपनी ओर खीच रहे थे । वही सीमा पार पाकिस्तान की फिजा भी कम नही थी । खैर सूर्यास्त होने पर बिगुल बजा और फुर्ती से चलते हुए जवान झन्डे तक आए तथा बडे अदब के साथ सीधी बाहो पर झन्डे को रखकर उसे सहेज कर रखने के लिए ले गए । यह एक ऎसास रोमान्चक पल था जिसे देखने के लिए देश के कोने - कोने से लोग आते है और देशभक्ति के इस अनूटे जज्बे से एकाकार होते है । सचमुच बाघा बार्डर का वो मन्जर आज भी मेरी आन्खो मे रचा बसा है , जिसे मै कभी नही भूल सकती । मौका मिलने पर पुन: मै बाघा बार्डर जाना चाहूगी ।

बाद मे हमने अपनी उत्सुकतावश कुछ सवालो के जवाब वहा तैनात बी एस एफ के जवानो से पूछे तो उन्होने बताया कि दोनो ही देशो के गेट सुबह नौ बजे से शाम ५ बजे तक खुलते है ।दोनो ही देशो के लोग अपने परिचय पत्र दिखाकर आते जाते रहते है । इस्के अलावा कुछ पाक किसानो के खेत है जो बट्वारे के दौरान भारत की सीमा मे रह गए और कुछ भारतीय किसान ऎसे है जिनके खेत पाकिस्तान की सीमा मे है , इन किसानो को दोनो सरकारो की ओर से परिचय पत्र दिए गए है जिन्हे दिखाकर वे यहा आकर खेतीबाडी करते है और शाम होते ही अपने - अपने देश की ओर लौट जाते है ।