आज दिल्ली को प्रदूषण रहित व हर तरह से साफ - सुथरा बनाने की कवायद युद्धस्तर पर चल रही है । ऎसे में दिल्लीवासियों को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सीख दी जा रही है तथा उनसे सुधरने की अपील की जा रही है । मगर यह तभी संभव है जबकि हम लोग यानि दिल्लीवासी स्वयं आगे आकर इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएं ।
जी हां , इसी दिशा में पहल करते हुए मैंने गंगा , यमुना , नदी , तालाबों आदि को स्वच्छ रखने के लिए अपने घर में निकली पूजा सामग्री को इधर - उधर न रखकर तथा नदी - तालाबों न बहाकर अपने घर के समीप स्थित पार्क के एक कोने में गड्ढा खोदकर उसमें दबा दी है । मैं यहां यह बात इसलिए कर रही हूम कि मुझे देखकर आप लोग भी अपने घरों में ऎसा ही करें तथा आसपास के लोगों को ऎसा करने के लिए प्रेरित करें । इसकी तस्वीरें भी दे रही हूं ताकि आप सब भरोसा कर सकें तथा ऎसा करने के लिए प्रेरित हों ।
मैं समझती हूं कि यदि हम लोग ऎसा करने का बीडा उठा लें तो एक न एक दिन हमें सफलता जरूर मिलेगी । कहते हैं न कि बूंद - बूंद से घडा भरता है सो इस अभियान [पूजा सामग्री को मिट्टी में दबाना ] में एक - एक कर लोग जुडते जाएंगे तो गंगा मैया का कुछ तो बोझ कम हो सकेगा । हालांकि आज बहुत से ऎसे लोग हैं जो यह समझने को तैयार ही नहीं हैं कि पूजा के बाद निकली सामग्री को बजाए बहाने के गड्ढे में दबाया जाए । लेकिन हम क्यूं उनके सुधरने का इंतजार करें । आज हम बदलेंगे तो कल नहीं , परसों वे भी हमें देखकर सुधर जाएंगे । इसलिएरूआत करना ज्यादा जरूरी है । अत: शुरूआत मैंने कर दी है ,अब इसे आगे तक लेकर जाने की जिम्मेदारी आपकी है । तो कहिए , जुडेंगे न इस अभियान से ......। .
हालांकि हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि पूजा सामग्री तथा देवी - देवताओं के चित्र , तस्वीर प्रतिमाएं ,आदि इधर - उधर न फेंकी जाएं इससे हमारे उन देवी - देवताओं का अपमान होता है । मगर आज हम स्वयं अपनी करतूतों से देवी - देवताओं का अपमान करने से नहीं चूक रहे हैं । पूजा में प्रयुक्त सामग्री व अन्य सामान को कभी नदी , तालाबों व गंगा मे बहाकर उन्हें प्रदूषित कर रहे हैं तो कभी पेड़ के नीचे डालकर वातावरण को गंदा कर रहे हैं । जबकि सही मायने में हमें चाहिए कि हम ऐसी सामग्री को किसी पार्क में या अपने घर के पिछवाडे़ में गड्डस खोदकर उसमें दबा दें । इससे ना तो हमारी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचेगी , ना ही नदियां , तालाब व गंगा आदिका पानी प्रभावित होगा और ना ही ये सामग्री किसी पैरों तले रौंदी जाएगी ।
हालांकि हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि पूजा सामग्री तथा देवी - देवताओं के चित्र , तस्वीर प्रतिमाएं ,आदि इधर - उधर न फेंकी जाएं इससे हमारे उन देवी - देवताओं का अपमान होता है । मगर आज हम स्वयं अपनी करतूतों से देवी - देवताओं का अपमान करने से नहीं चूक रहे हैं । पूजा में प्रयुक्त सामग्री व अन्य सामान को कभी नदी , तालाबों व गंगा मे बहाकर उन्हें प्रदूषित कर रहे हैं तो कभी पेड़ के नीचे डालकर वातावरण को गंदा कर रहे हैं । जबकि सही मायने में हमें चाहिए कि हम ऐसी सामग्री को किसी पार्क में या अपने घर के पिछवाडे़ में गड्डस खोदकर उसमें दबा दें । इससे ना तो हमारी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचेगी , ना ही नदियां , तालाब व गंगा आदिका पानी प्रभावित होगा और ना ही ये सामग्री किसी पैरों तले रौंदी जाएगी ।