कहते हैं कि जनम और मरण ये दोनों प्रक्रिया ईश्वर ने अपने हाथ में ही रखी हुई हैं , तभये आवागमन की प्रक्रिया में कौन कब आता है - कब जाता है ,सभी इससे अनजान हैं ।मगर हमारी वैज्ञानिक बिरादरी है कि वह ईश्वर के इस एकाधिकार में सेंध लगाने के पुरजोर प्रयास में लगी रहती हैं । वैज्ञानिक किसी हद तक तो अपने प्रयासों में सफल भी हुए हैं ,परिणाम के तौर पर टेस्ट ट्यूब व अन्य दूसरी आर्टिफिशियल तकनीक के माध्यम से बच्चे को जन्म देने में सफल हुए हैं । लेकिन मरकर इंसान कहां जाता है इसका इनके पास अभी कोई जवाब नहीं । यह भी माना जाता है कि ईश्वर ने जितनी सांसे लिखकर हमें जमीं पर भेजा है हम उतनी सांसे ले पाते हैं उससे ज्यादा नहीं ।यह सब जानते हुए भी हमें ज्यादा से ज्यादा जीने की ललक रहती है । और जीने की तमन्ना रखने वालों के लिए एक अच्छी खबर है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि यदि आप पांच वैश्विक खतरों से लड़ जाएं तो आपके पांच साल अधिक जीने की सम्भावना बढ़जाएगी ।
संगठन की ”मोर्टेलिटी एंड बर्डेन ऑफ डिजीज की को - ऑर्डीनेटर ऑलिन मेथेर्स का कहना है कि आठ जोखिम घटकों की वजह से ७५ प्रतिशत दिल की बीमारियां होती हैं जो मौत का कारण बनती हैं ,इनमें शराब पीना , हाई ब्लड प्रेशर ग्लूकोज , तंबाकू सेवन , उक्त रक्त चाप , हाई बॉडी इंडेक्स , हाई कोलेस्ट्रोल , फल - सब्जियों का कम सेवन और व्यायाम नहीं करना है ।
संगठन की रिपोर्ट के अनुसार कम वजन के नवजात , असुरक्षित सेक्स , शराब व गंदे पानी का सेवन ,खुले स्थान पर शौच और उक्त रक्तचाप जैसे खतरों से बचकर रहा जाए तो आम आदमी अपनी औसत उम्र को बढ़ा सकता है । अब हुई न अपनी आयु को बढा़ने की चाबी [गुर] आपके हाथ । खैर जो भी आयु लंबी हो या न हो मगर इन व्यसनों से बचने पर आप निरोगी काया के मालिक जरूर बन सकते हैं ।
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Thursday, October 8, 2009
ट्रेन में चाय पीना अपने स्वासथ्य से खिलवाड़ करना ...

यूं तो रेलवे विभाग खामियों का भंडार है लेकिन कभी - कभी ऎसे वाकये सामने आते हैं जिन्हें देख - सुनकर आंखें खुली की खुली रह जाती हैं । देखो तो ये रेलवे कर्मचारी अपनी कैसी - कैसी कारगुजारियों से रेल यात्रियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं । हाल ही में इन रेल कर्मचारियों की ऎसी घिनौनी कारगुजारी को सामने लाता हुआ एक मेल मेरे पास आया , जिसे मैं आप सबके साथ शेयर किए बिना नहीं रह सकी .
ये वाकया जनशताब्दी एक्सप्रेस का है , जो कि कोंकण रेलवे की देखरेख में है ,मेलप्रेषक स्वयं इसमें सफर कर रहे थे , जब उन्होंने देखा तो तुरंत उसकी फोटो उतार ली । आंखोदेखा हाल बयां करते हुए प्रेषक ने बताया है कि रेलयात्री अपनी यात्रा के दौरान खाना लें या नहीं लेकिन अधिकांश यात्री चाय की चुस्कियां लेते जरूर दिख जाते हैं या यूं कह लीजिए कि चाय की चुस्कियों के बीच वे सफर का लुत्फ उठाने के साथ - साथ समय को आसानी से व्यतीत करने की जुगत में रहते हैं । मगर उन बेचारों को इस बात का जरा भी आभास नहीं है कि वे जो चाय पी रहे हैं वह कैसे तैयार की जाती है । दरअसल ये लोग चाय को केन्टीन के टॉयलेट में तैयार करते हैं चाय बनाने का सभी सामान वहीं टॉयलेट के फर्श पर रहता है । पानी का टैब भी वहीं से लिया होता है । और चाय उबालने के लिए बाथ हीटर का प्रयोग किया जाता है । जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है । ज्यादा क्या लिखूं सारा माजरा आप लोग स्वयं चित्र देखकर समझ जाएंगे ..........
Sunday, October 4, 2009
छि: छि: - कितने बेगैरत हैं ये ?
आज के अखबारों की मुख्य खबर - कॉकपिट में चले लात - घूंसे पढ़कर इन पायलटों की गैरजिम्मेदाराना हरकत पर बहुत गस्सा आया । एयर इंडिया के लिए यह बडे़ शर्म की बात है कि ए - ३२० विमान की उडा़न संख्या - आईसी८८४ के कॉकपिट में को - पायलट और परिचारक आपस में भिड़ गए ,इतना ही नहीं दोनों में जमकर हाथापाई हुई । जबकि उस समय विमान ३४ हजार फिट पर उड़ रहा था और विमान में १०६ यात्री सवार थे । वो तो यात्रियों की किस्मत कहिए या एयर इंडिया की कि कोई बडा़ हादसा होते - होते बच गया , वरना एयर इंडिया के इन कर्मचारियों ने आगा पीछा सोचे बिना विमान को अखाडा़ बनाकर सभी यात्रियों की जान जोखिम में डाल ही दी थी ।
हालांकि इस घटना के पीछे कमांडर व को - पायलट द्वारा एक परिचारिका के साथ छेड़छाड़ का होना बताया जाता है ।
पता नहीं इन पायलटों को क्या हो गया है ? कभी अपनी मांगों को लेकर छुट्टी पर चले जाते हैं तो कभी ऎसी ओछी हरकतें करके यात्रियों को मुसीबत में डाल रहे हैं । आखिर ये लोग चाहते क्या हैं ? ये अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं या फिर अवसरवादिता के शिकार हो रहे हैं ?
हालांकि इस घटना के पीछे कमांडर व को - पायलट द्वारा एक परिचारिका के साथ छेड़छाड़ का होना बताया जाता है ।
पता नहीं इन पायलटों को क्या हो गया है ? कभी अपनी मांगों को लेकर छुट्टी पर चले जाते हैं तो कभी ऎसी ओछी हरकतें करके यात्रियों को मुसीबत में डाल रहे हैं । आखिर ये लोग चाहते क्या हैं ? ये अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं या फिर अवसरवादिता के शिकार हो रहे हैं ?
जीवन एक संघर्ष

जीवन एक संघर्ष है ,
बचपन बीते ,
जवानी बीते ,
न बीते दौर संघर्ष का ,
एक न एक दिन तो होना ही है ,
अंत हर एक का ,
मगर होता नहीं अंत ,
संघर्ष के खेल का ,
जीवन पथ में आए -
संघर्षों से
शेरनी थकी है ,
हारी नहीं ,
बचपन जाए - जवानी बीते,
भले ही उम्र कट जाए ,
संघर्ष के इस लुका - छिपी के खेल में ,
मुझे अंत तक डटे रहना है ,
क्योंकि -
जीवन का सत्य
व दूसरा नाम ही
संघर्ष है .
मेरे ब्लॉगर साथियों मैं कविता के क्षेत्र में अनाडी़ हूं , मगर कुछ समय पहले मैंने ये चंद लाइनें लिखीं और अलमीरा के किसी कोने में रख दी । आज कुछ तलाशते वक्त मेरे हाथ ये लाइनें लग गई और मैंने इन्हें अपने ब्लॉग पर देकर आप लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है । अब पता नहीं आप लोगों को ये लाइनें पसंद आएंगी या नहीं ? खैर जो भी हो आप मुझे अपने विचारों से अवश्य अवगत कराएं । मेरी गलतियों को सुधारने का कष्ट करें तथा गलतियों के लिए क्षमा करें ।
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