समाचार4मीडिया.कॉम के माध्यम से यह खबर मिली है कि सरोजिनी नायडू पुरस्कार 2010 के लिए ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ ने प्रविष्टियां आमंत्रित की हैं। ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ पंचायतों में महिला नेत्रियों के संघर्ष और सफलता की कहानियों को प्रमुखता से स्थान देने, उसे समर्थ व प्रोत्साहन के लिए प्रतिबद्ध है। द हंगर प्रोजेक्ट की कार्यक्रम अधिकारी शिवानी शर्मा ने बताया कि राजनीतिक प्रक्रियाओं में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सशक्त पंचायत राज को बढ़ावा देता है। मध्यप्रदेश में चौथा पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद 50 प्रतिशत से भी अधिक सीटों पर महिलायें जीतकर आयीं हैं।
‘द हंगर प्रोजेक्ट’ महिलाएं एवं पंचायती राज से संबंधित वो सभी सकारात्मक लेख, जो 31 जुलाई 2009 से 15 जुलाई 2010 के बीच प्रकाशित हो एवं महिला नेतृत्व को बढ़ावा देता हो, को आमंत्रित करता है।
प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2010 है। लेखों के लिए कोई शब्द सीमा निर्धारित नहीं है। एक से अधिक प्रविष्टियां भेजी जा सकती हैं।
शिवानी शर्मा के अनुसार पुरस्कार का यह दसवां वर्ष है, इसलिए इस वर्ष सरोजिनी नायडू पुरस्कार विषय केन्द्रित नहीं होंगे, बल्कि महिला व पंचायती राज से संबंधित सभी प्रकार के सकारात्मक लेखन के लिए दिये जाएंगे। शिवानी के अनुसार हर श्रेणी के लिए दो लाख रूपये पुरस्कार स्वरूप दिये जाते हैं। इस पुरस्कार से हिन्दी, अंग्रेजी व अन्य भारतीय भाषाओं में पंचायती राज और महिलाएं पर केन्द्रित लेखन के लिए प्रिंट मीडिया के तीन पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है।
प्रविष्टियां ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ दिल्ली कार्यालय अथवा राज्य कार्यालयों में 15 जुलाई 2010 तक अवश्य पहुंच जाना चाहिए। इस तिथि के बाद प्राप्त हुए लेखों पर विचार नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रविष्टि के लिए प्राप्त लेख 31 जुलाई 2009 से 15 जुलाई 2010 के बीच प्रकाशित होने चाहिए। इस अवधि के पूर्व या बाद की प्रविष्टियां पुरस्कार के लिए लिए अयोग्य मानी जायेंगी।
पुरस्कार पात्रता मापदण्ड- प्रिंट मीडिया से जुड़े सभी पत्रकार आवेदन कर सकते हैं। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित लेखों को प्रोत्साहित किया जाता है। न्यू मीडिया के क्षेत्र में कार्यरत वे पत्रकार भी आवेदन कर सकते हैं जिनके पुरस्कार से संबंधित विषय पर आलेख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हों। ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ या उसके साथी संगठनों के कर्मी पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
प्रविष्टियों के साथ समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों की प्रतियां संलग्न करना अनिवार्य है। आवेदनों पर आवेदक का नाम, पता, ई-मेल तथा फोन नंबर अवश्य होने चाहिए। आवेदनों के साथ कितने भी लेख भेजे जा सकते हैं, यदि वे मापदण्डों पर खरे उतरते हों।
पुरस्कार के लिए निर्णायक मंडल में डॉ. जार्ज मैथ्यू, निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साईसेज, डॉ. एस.एस. मीनाक्षीसुंदरम, कार्यकारी उपाध्यक्ष, एम.वाय.आर.डी.ए. डल्क, सुश्री पामेला फिलिपोज, निदेशक, वीमेंस फीचर सर्विस, सुश्री उर्वशी बुटालिया, कॉ-फाउण्डर, काली फॉर वीमेन एवं निदेशक, जुबान, सुश्री मणिमाला निदेशक, मीडिया फॉर चेंज शामिल हैं।
2 comments:
आभार जानकारी का..भेजते हैं.
shashi jee, achchhi suchana hai magar aise lekh dekhne honge mere pas hain ya nahi. dhanyvaad.
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