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Monday, November 2, 2009

जमकर लुत्फ उठाया लोगों ने हरियाण्वी लोक शैली रागिनी और नृत्य का

कल हरियाणा का ४४वां स्थापना दिवस बडी़ धूमधाम व रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया । यहां रोहिणी के मधुबन चौक स्थित टैक्नीया इंस्टीट्यूट के सभागार में सौ से ज्यादा ऐसे परिवार एकत्रित हुए जो हरियाणा के भिवानी जिला से आकर यहां दिल्ली में बस गए हैं । इस दौरान उपस्थित लोगों ने हरियाणा विशेषकर भिवानी से जुडे़ प्रसंगों को एकदूसरे के साथ बांटा और अपने जिले से दूर होने की कसक को उजागर किया ।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा कीलोक संस्कृति की पहचान रागिनी व नृत्य प्रस्तुत किया हरियाणवी कलाकारों ने । रगिनी के प्रस्तुतिकरण का मुख्य उद्देश्य था कि एक तो लोग दिल्ली में बसने के बाद इस हरियाणवी लोक विधा से दूर हो गए थे । इसके अलावा आज की नई पीढी़ [जो रागिनी से कोसों दूर है ]को हरियाणवी लोक संस्कृति से रूबरू करा इससे जोड़ना । अशोक ’अद्भुत ’ व अनिल गोयल ने हरियाणवी भाषा में काव्यपाठ किया तो उपस्थित कुछ लोगों ने हरियाणा में भिवानी की विशेषताओं और खूबियों को गिनाया । कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि राजेश चेतन ने हरियाणा शब्द का मतलब बता लोगों को अविभूत कर दिया । कहते हैं कि महाभारत काल में जब कृष्णजी के चरण यहां पडे़ थे और जब वह जाने लगे तोलोगों ने उनसे यहां दोबारा आने का वादा लिया था , तभी से लोग उनके आने की प्रतीक्षा में है और हरि - आना , हरि - आना करते - करते यहां का नाम हरियाणा पड़ गया ।
उल्लेखनीय है कि कवि राजेश चेतन व उअनके तमाम सहयोगियों ने हरियाणा से दूर होने की कमी को महसूस किया और इसी कमी को दूर करने के प्रयास में उन्होंने भिवानी जिले के उन तमाम लोगों को एकत्रित कर एक मंच पर लाने की कोशिश की है । जिसके तहत एक संस्था का गठन किया गया है जिसमें उन्हीं प्रिवारों को जोडा़ जा रहा है जो भिवानी जिले से ताल्लुक रखते हैं । इस संस्था का फिलहाल कोई नामकरण नहीं हुआ है किंतु इससे अब तक सौ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं । श्री चेतन के अनुसार संस्था क नाम शीघ्र ही सभी सदस्यों की सहमति से अगली बैठक मे रख लिया जाएगा । उन्होंने बताया कि अगले वर्ष होली तक ऐसे परिवारों की एक दिग्दर्शिका भी प्रकाशित की जाएगी ताकि आपको एक ही जगह पर अपने लोगों की जानकारी हो सके ।
बहरहाल चेतन जी का सभी परिवारों एक सूत्र में बांधने का प्रयास सराहनीय है ।

2 comments:

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

kaafi achha karyakram tha..aankhon dekha haal sunane ke liye dhanywaad!!

Haryana naam ke peeche ki kahani bhi achhi lagii..

चेतन चौपाल said...

शशि जी,

आप ने बहुत सुन्दर लिखा है, बधाई