Followers

Friday, June 20, 2008

आसान डगर मगर ’जयकारे’ नदारद

सभी मूलभूत सुविधाओ से लैस १४ किलोमीटर लम्बी श्री वैश्नॊ देवी मन्दिर की पदयात्रा अब आसान जरूर हो गई है , मगर इस सुगम यात्रा मे एक कमी बेहद खलने लगी है , वह है- माता की पुकार के जयकारे । माता के दर्शनो के लिए जुट्ने वाली भीड. तो है किन्तु इस भीड. मे माता की जयकार के नारे नदारद है !
पूर्व मे दुर्गम रास्तो वाली इस लम्बी पदयात्रा मे शायद ही कोई ऎसा पल होता होगा जबकि श्रद्धालु पदयात्रियो के जयकारो की आवाज से समूचा वातावरण गुन्जायमान न होता हो । कहते है कि माता की जयकार के नारे श्रद्धालु पदयात्रियो मे जोश व स्फूर्ति का सन्चार करते थे और यात्री दुर्गम से दुर्गम रास्ते पार कर माता के दरबार मे पहुन्च दर्शन लाभ करते थे । उन्हे यात्रा की थकान लेशमात्र भी महसूस नही होती थी किन्तु अब सरल रास्ते , घोडा. - खच्चर , पिट्ठू, पालकी के साथ - साथ आटो व हेलीकाप्टर की व्यवस्था ने पदयात्रा इतनी आसान कर दी है कि श्रद्धालु तुरत - फुरत मे अपनी यात्रा पूरी कर लेते है और निकल जाते है अपनी आगे की भ्रमण यात्रा पर । यही नही अब लोगो मे भक्ति भावना तो बडी. है मगर उनके पास समय की कमी और हर काम को झटपट करने की प्रवॄति ने भक्ति भावना के मायने ही बदल दिए है । कभी - कभी ऎसा महसूस होता है कि कही यह धार्मिक यात्रा के नाम पर महज आउटिन्ग तो नही ?

No comments: