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Friday, June 20, 2008

जान न ले ले ये मोबाइल ?

पिछ्ले दिनो आई खबरो मे रेडियेशन का सबसे ज्यादा खतरनाक माध्यम बनकर उभरा है मोबाइल का प्रयोग । त्वरित सम्पर्क का सशक्त माध्यम मोबाइल फोन एक ओर जहा हमारे जीवन का अभिन्न अन्ग बना है वही अब इसका प्रयोग स्वास्थ्य के लिए एक गम्भीर चुनौती बन गया है । पिछ्ले काफी समय से विभिन्न सन्स्थाओ के अलावा भारत सरकार के सन्चार मन्त्रालय के माध्यम से बार - बार लोगो को आगाह किया जा रहा है कि वे मोबाइल का प्रयोग नियमित अथवा लम्बे समय तक करने से परहेज करे , क्योकि इससे कान मे खराबी तथा ब्रेन पर बुरा असर पडता है । साथ मे बार्म्बार यह भी हिदायते दी जा रही है कि १६ साल से कम उम्र के बच्चो से मोबाइल को एक्दम दूर रखा जाए ।मोबाइल से निकलने वाली घातक तरन्गे बच्चो के शारीरिक विकास पर प्रतिकूल असर डाल् रही है । गर्भावस्था के दौरान ,महिलाए भी मोबाइल से दूर ही रहे अन्यथा गर्भवती महिला व बच्चा दोनो के स्वास्थ्य को खतरा है ।
दरअसल आज जितनी तेजी से मानव जीवन मशीनीकरण की गिरफ्त मे आता जा रहा है लगभग उसी अनुपात से मानव स्वास्थ्य भी खतरे मे पड।ता जा रहा है । विग्यान के नए - नए आविश्कार , जो किसी चमत्कार से कम नही लगते , मानव जीवन को सभी सुख्सुविधाओ से युक्त बनाकर उन्हे अपनी ओर आकर्शित कर रहे है ।
वैग्यानिक खोजो का ही परिणाम है कि घर हो या बाहर सभी जगह ज्यादातर कामो मे इलैक्ट्रिक आइट्म ही प्रयोग मे लाए जा रहे है । जी हा मशीनी मानव के दौर विद्युतचुम्बकीय विकिरण यानि कि इलैक्ट्रो मैग्नेटिक रेडियेशन ने दुनियाभर को पूरी तरह अपनी जकड। मे ले लिया है । यह एक ऎसा मीठा व धीमा जहर है जो चुपके से हमारे स्वास्थ्य व जनजीवन पर बुरा प्रभाव डाल रहा है ।
क्रमश:...........

2 comments:

Neeraj Rohilla said...

काहे डरा रहे हो लोगों को, अभी ऐसी कोई ठोस रिसर्च नहीं हुयी है जिससे ऐसा निश्चित तौर पर कहा जा सके । बस फ़ोन को फ़ोन की तरह इस्तेमाल करो, उसे हर समय लेकर न बैठे रहो, बाकी सब बढिया रहेगा ।

मित्रवर, ये वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, टिप्पणी करने में असुविधा होती है ।

Udan Tashtari said...

सच में, डराओ मत भाई.

नीरज के साथ हूँ..वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, टिप्पणी करने में असुविधा होती है ।