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Wednesday, October 20, 2010

आखिर कब सुधरेंगे हम ?

बड़े शर्म की बात है कि आए दिन सचेत करते रहने के बाद भी हम लोगों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है । इसी का प्रत्यक्ष प्रमाण बयां कर रही है आज नई दुनिया अखबार में  ”आस्था का कचरा” नाम से प्रकाशित फोटो ।यूं तो फोटो को देखकर कुछ कहने की जरूरत नहीं है , फोटो मैली होती  यमुना की कहनी खुद ब खुद कह रही है ।
नई दुनिया में छ्पी फोटो देखें------------

1 comment:

M VERMA said...

आस्था नहीं यह तो अनास्था का कचरा है

इसे भी देखे यहाँ भी वही आस्था है
http://phool-kante.blogspot.com/2010/10/blog-post_13.html