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Tuesday, May 18, 2010
पढने - पढाने की कोई सीमा तय नहीं ...........
कहते हैं कि पढने - पढाने की कोई सीमा तय नहीं है आदमी जब चाहे अपनी ख्वाहिशों के पर लगा सकता है । शायद यही वजह है कि पढने - पढाने की मेरी दिलचस्पी भी कभी खत्म नहीं हुई और दिल में एक लौ जलती रही कि कभी वह अवसर जरूर हाथ लगेगा । सो दोस्तों ,आज मुझे लगभग सात - आठ सालों के इंतजार के बाद वह अवसर मिल ही गया है । मसलन पी एच डी करने के लिए मेरा रजिस्ट्रेशन हो गया है आगरा यूनीवर्सिटी से । इसी काम के सिलसिले में मैं परसों यानि २० मई को आगरा जा रही हूं । हालांकि आगरा का मेरा एक ही दिन का कार्यक्रम है लेकिन कोशिश रहेगी कि मैं बीनाजी के साथ - साथ डा. सुभाष व परिहार जी से भी मुलाकात कर सकूं । अगर मैं इन लोगों से मिलने में कामयाब रही तो उस मुलाकात की चर्चा आपके साथ भी शेयर करूंगी। मेरा मोबाइल नंबर है- ९८९९६६५००७ [9899665007] | आगरा के ब्लॉगर्स चाहें तो मुझसे इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं । मैं ताज एक्सप्रेस से आगरा पहूंचुंगी ।
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7 comments:
वाकई "पढने - पढाने की कोई सीमा तय नहीं'
आगरा यात्रा सफल हो
एक निवेदन
आप स्लाईड शो को या तो छोटा कर लें या और नीचे कर ले आपके आलेख के बहुत सारे अक्षर पढने में नहीं आता.
धन्यवाद
शुभकामनाएँ....!!
आपकी यात्रा मंगलमय हो ।
shubhkaamnaayein...
शशि जी सही कहा है आपने
पढने - पढाने की कोई सीमा तय नहीं
आपको तमाम शुभकामनाये
ji bilkul sahi kaha aapne....
sarahniy pahal
Jai Ho Mangalmay Ho
यात्रा सफल हो.शुभकामनाएँ
.
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