भाई - बहन के पावन पर्व ( रक्षाबंधन) के अवसर पर विशेष ------
हमेशा की तरह इस वर्ष भी रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक आ पहुंचा है । भाई- बहनॊं द्वारा राखियों व शुभकामना संदेश भेजने का दौर चरम पर है । दूरदराज के क्षेत्रों में बैठेभाई- बहनों द्वारा एक से एक आकर्षकसंदेशों को भेजने के लिए एस.एम.एस तथा इंटरनेट (ई-मेल) का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है ।
श्रावणी पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व हिंदुओं में सबसे प्रमुख पर्व माना जाता है । इसे कहीं सलूनी अथवा सलेनी भी कहते हैं । शास्त्रों के अनुसार राखी का पर्व आरोग्य और वृद्धि का त्यौहार है , वहीं यह राष्ट्र के संकट काल में उच्चतम कर्तव्यों तथा बलिदानों की परम्परा का भी पर्व रहा है । भारतीय नारी ने जब- जब अपनी रक्षाके लिए राखी बांधकर भाई व धर्मपुरुषों को आह्वान किया है , तब-तब भाई भी अपना सर्वस्व अर्पण करके बहनॊं की रक्षा के लिए आगे आए हैं ।
हालांकि आज भाई-बहन का अटूट रिश्ता भी कड़्वाहट से परे नहीं रहा है , इस पर भी धन की काली छाया पड़ गई है । फिर भी हम, परम्पराओं को निभाते आ रहे हैं । किंतु उसके पीछे छिपे मूल उद्देश्यों को जाने बिना । शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि राखी हमेशा सीधे (दाहिने) हाथ ब्में ही बांधी जाती है ?दर असल कोई भी शुभ कार्य करने में सीधा हाथ ही प्रयोग में लाया जाता है । क्योंकि सीधा हाथ हमारे सत्कर्मों, शौर्य, त्याग व बलिदान का प्रतीक है । अत: सीधे हाथ में बंधी राखी भाई को अपने इन्हीं कर्तव्यों को निभाते रहने की प्रेरणा देती है । इसलिए राखी हमेशा सीधे हाथ में बांधी जाती है ।
1 comment:
आभार इस जानकारी के लिए.
Post a Comment