Followers

Monday, March 29, 2010

मेरी पहली ब्लॉगर्स मीट : बेहद रोचक और मजेदार

मैं अपनी ब्लॉगर्स मीट के बारे में कुछ कहूं उससे पहले मैं राजीव तनेजा जी व विशेषकर उनकी पत्नी संजू तनेजा का धन्यवाद करती हू तथा उन्हें साधुवाद देती हूं कि उन्होंने इस मीट को तरोताजा व सफल बनाकर एक यादगार मीट बना दी है । दोनों ब्लॉगर्स पति - पत्नी की मेहनत और प्रयासों की वजह से हम सभी ब्लॉगर्स एकजुट हो आपस में एकदूसरे को जान - पहचान सके ।
हां तो अब मैं अपने विषय पर पहुंचती हूं और देर से सही अपने नजरिये से अलबेला जी के दिल्ली आगमन पर हुई ब्लॉगर्स मीट में ले चलती हूं । शुक्रवार २६ मार्च को कोई आठ - साढे आठ बजे का समय था तभी फोन की घंटी बजी , उठाया तो फोन से आवाज आई कि कल सुबह ग्यारह बजे शालीमार बाग , राजीव तनेजा जी के घर में ब्लॉगर्स की बैठक है उसमें मुझे पहुंचना है और ये आवाज थी ब्लॉगर्स की दुनिया के जाने माने व धुरंधर ब्लॉगर अविनाश जी की । मैंने उनके निमंत्रण कॊ तुरत ही स्वीकार कर लिया । क्योंकि मैं पिछले काफी समय से जगह - जगह होने वाली ब्लॉगर्स मीट के बारे में काफी कुछ पढ चुकी थी अत: तमन्ना थी कि मैं भी ब्लॉगर्स मीट मैं शामिल होऊं । सो अब वो समय आ गया था इसलिए मन का  कल्पनाओं के घेरे में आना लाजिमी था ।तरह - तरह के विचार और प्लॉट बनने लगे । खैर किसी तरह रात बीती और मैं जुट  गई जल्दी - जल्दी अपने सुबह के काम निबटाने में । जैसे - जैसे वार्ता का समय नजदीक आने लगा और मैं असहज होने लगी । तभी सवाल दागा गया कि जब मै किसी को , विशेषकर जिसके घर मैं जा रही हू , जानती पहचानती नहीं हूं तो क्या इस तरह मेरा जाना ठीक होगा ? फिर क्या था मैं अपने जाने को लेकर असमंजस की स्थिति में आ गई । एक मन कहे कि मूर्ख यही तो अवसर है सभी को जानने पहचानने का , फिर जब भी मीट में शामिल होने का अवसर मिलेगा तब पहली बार तो सब अनजाने से ही होंगे अत: एक बार मुलाकात कर लेना अच्छा ही रहेगा । लेकिन दूसरी तरफ शंका और असहजता ने मन में डेरा जमा लिया कि अरी मूर्ख यदि मीटिंग किसी पब्लिक प्लेस पर होती तो कोई बात नहीं या फिर जिनके घर में हो रही है उनसे भी पहले से कोई बातचीत होती तो भी कोई बात नहीं थी। अब भारी दुविधा थी एक ओर असहजता थी तो दूसरी ओर इस मीट को न छोडने का मन । इस बीच घडी  ने ११ बजा दिए निर्णय ले पाना कठिन हो गया तभी मुझे याद आए अविनाशजी और तुरंत इन्हें फोन लगा दिया । फोन रिसीव करते ही अविनाशजी ने सवाल कर दिया कि मैं कहां पहुंची ? तब मैंने उन्हें अपनी दुविधा बताइ तथा फोन पर ही राजीव जी की पत्नी संजू से बात करने की इच्छा जाहिर की । भला हो अविनाशजी का कि उन्होंने मेरी बात को अन्यथा न लेते हुए अतिशीघ्र मेरी बात संजू जी से करवाई  । संजू जी से बात होते ही मैं निकल पडी मीटिंग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और लगभग आधा घंटे में ,किन्तु मीटिंग के समय से थोडा लेट , पहुंच गई राजीवजी के घर यानि कि मीटिंग प्लेस पर ।
मन में काफी उथल - पुथल मची हुइ थी मगर सभी नौ ब्लॉगर्स , जो उस समय वहां उपस्थित थे , से मिलकर आपस में एकदूसरे का परिचय करके मैं एकदम सहज हो गई । चंद मिनटों में सचमुच ऎसा लगने लगा कि यह हम लोगों की पहली मुलाकात नहीं बल्कि हम लोग तो एक दूसरे को काफी समय से जानते पहचानते हैं । एक ऎसा स्वस्थ वातावरण बन गया जिसे शब्दों में व्यक्त कर पाना कठिन है । जलपान व चाय नाश्ते का दौर शुरू हो गया जो कि संजू जी व उनका बेटा बडी ही शिद्दत के साथ संभाले हुए थे । मेलमिलाप के बीच शुरू हुआ विचारों का आदान - प्रदान । पवन जी बात कर रहे थे अपनी कविता किसी ब्लॉगर के द्वारा चुराए जाने के सबंध में । उन्होंने बाकायदा अपनी स्वरचित कविता व चुराई गई कविता वहां उपस्थित ब्लॉगरों के समक्ष रखी । वास्तव में यह उस ब्लॉगर द्वारा किया गया न सिर्फ एक घिनौना अपराध है बल्कि एक कवि की भावनाओं के साथ खेलने का घिनौना कृत्य है । उम्मीद है कि भविष्य में ऎसा अपराध दोबारा नहीं किया जाएगा ।
बागी चचा की कविता "दीनू" काफी मर्मस्पर्शी निकली । वहीं कनिष्क कश्यप का काव्यपाठ "सरफगोशी से सरफगोशी से" सुनने में आन्नद आया । इधर अविनाशजी द्वारा लिखी गई व्यंग्यात्मक टिप्पणी जो कि महंगाई को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा आम जनता को लिखा गया पत्र था , बेहद रोचक व तीखा था ।  उम्मीद है कि अविनाशजी अपने इस पत्र को शीघ्र ही अपने ब्लॉग पर डालेंगे ताकि और सभी भी इसे पढ सकें ।
इस दौरान अलबेला जी ने एक बडा ही ज्वलंत  मुद्दा उठाया उन्होंने सभी को राय मांगी कि कुछ ऎसा किया जाए कि हिन्दी ब्लॉगिंग से कुछ कमाई हो ताकि घरवालों को यह न लगे कि हम कम्प्यूटर के सामने बैठे - बैठे अपना समय बर्वाद कर रहे हैं । आज अंग्रेजी ब्लॉगिंग को तो गूगल से सहायता मिल रही है लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग को नहीम । हिन्दी ब्लॉगर्स का एक ऎसा साझा मंच बने जो कि निजी विग्यापन दाताओं से सम्पर्क करके  पैसा कमाने का प्रयास कर सके । इसके लिए अपना सुझाव देते हुए कनिष्क जी ने कहा कि क्यों न ऎसा किया जाए कि हिन्दी ब्लॉगर्स अपना एक अंग्रेजी ब्लॉग भी बनाएं तथा उसे गूगल एड  वर्ल्ड पर रजिस्टर करवाकर उस पर आने वाले विग्यापन को हिन्दी ब्लॉग पर भी दिखाएं तो शायद इससे कुछ कमाई की जा सके । मैं सोच रही हूं कि कनिष्क जी के सुझाव को जल्द ही अमल में लाकर देखा जाए कामयाबी मिलती है या नहीं ।
मुझे इस बात का अफसोस है कि समय की कमी के कारण मुझे यह वार्ता बीच में ही छोडकर आना पडा । मैं बडे ही दुखी मन से वहां से आई । लेकिन मुझे इस बात की भी खुशी है कि कम ही सही मैं कुछ तो समय ब्लॉगर्स मीट को दे पाई और सभी धुरंधर ब्लॉगर्स व एक से बढकर एक हस्तियों से मिलपाई । मैं एक बार फिर अविनाशजी व संजू जी की शुक्रगुजार हूं कि इन्हीं के कारण मैं हिन्दी ब्लॉगर जगत की  नामचीन हस्तियों के बीच कुछ पल गुजार सकी ।
 ब्लॉगर्स मीट के चित्र अविनाशजी ने अपने ब्लॉग पर डाल दिए हैं ।

Friday, March 26, 2010

बालिका बचाओ का संदेश देंगी प्रियंका


पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में सन फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक समारोह में संगीत कंपनी सारेगामा इंडिया लिमिटेड ने गुरु ग्रंथ साहिब के ''शबद'' का एक एलबम ''हाल मुरिदां दा कहना'' रिलीज़ किया. सुरजीत सिंह परमार द्वारा तैयार किये गये संगीत पर डा. अशोक चोपड़ा द्वारा गाये गये ८ शबद हैं, इस सीडी में, जो कि भारतीय शास्त्रीय संगीत (रागों) पर आधारित हैं, इस सी डी में 'मित्तर प्यारे नू'' ,''हाल मुरिदां दा कहना'' [ख्याल ] हैं, ये वो शबद है जो गुरू गोविन्द सिंह साहिब ने गाये थे जब उनके पूरे परिवार की मचीवादा जंगल (लुधियाना के पास) में शहादत हो गयी थी.

''हमें बहुत समय लगा इस 'उदास' ख्याल को अपनी अंतर आत्मा के साथ गाने में, जब यह ''शबद'' रिकॉर्ड हुआ उस वक्त सुबह के ४ बजे थे'' भाव विभोर होकर डॉ. चोपड़ा कहते हैं. एक पंजाबी हिंदू हैं डॉ. चोपड़ा, जो कि सच्चे धर्मनिरपेक्ष इंसान है. वो पहले भी ''नातिया कलाम'' (मुस्लिम धार्मिक कविता) और भजन (हिंदू भक्ति गायन), देश भर के संगीत समारोहों में गाकर एक गायक के रूप में लोकप्रिय हो चुके हैं. अशोक चोपड़ा का कहना है कि, "मुझे खुशी है कि सभी के आशीर्वाद के साथ, मेरा यह एलबम लांच हो रहा है."

६० वर्ष के डॉ. अशोक चोपड़ा एमबीबीएस, एमएस हैं वह एक मेधावी छात्र रहें हैं अपनी पढाई के दौरान , साथ ही साथ वह एक प्रतिभाशाली गायक हैं, वो गायक मोहम्मद रफ़ी और मदन मोहन के बहुत बड़े प्रशंसक हैं .लगातार ११ वर्षों तक उन्होंने स्कूल की प्रार्थना सभा में स्कूल के दल का नेतृत्व किया और हमेशा ही अपने स्कूल की गायन प्रतियोगिताओं के विजेता रहें. अपनी चिकित्सा के अध्ययन को पूरा करने के बाद वो 1974 में सेना में शामिल हो गए, १९९७ में सेवानिवृत्त हुए और बरेली में उन्होंने सन् २००१ काम किया. अब वह ''लेजर सर्जरी लिपोलिसी'' मुंबई में काम कर रहें हैं.

सुरजीत सिंह परमार ने मुंबई के एक गुरुद्वारें में डॉ अशोक की गुरुवाणी को सुना और उनके गायन से प्रभावित होकर ही उन्होंने डॉक्टर के साथ एक एलबम बनाने का फैसला किया. एलबम में शामिल आठों शबदो को बहुत ही ध्यान चुना है, शास्त्रीय संगीत पर आधारित इन शबदो में वाद्य उपकरणों का उपयोग कम से कम किया गया है,जिससे धार्मिक विचारों की समृद्धि बरकरार रहे. परमार एक प्रशिक्षित संगीतकार, गीतकार, लेखक और गायक है, जिन्होंने चंडीगढ़ में चार साल तक औपचारिक रूप से संगीत का अध्ययन किया है और अब २० साल से संगीत उद्योग में काम कर रहें हैं . सुरजीत को प्रेरणा मिलती है संगीतकार ए. आर. रहमान और मोहम्मद रफी जैसी संगीत के महान हस्तियों से. डॉ. चोपड़ा के बारें में उनका कहना है कि, ''डॉ के साथ काम करना बहुत ही अच्छा रहा है अब हम दूसरी एलबम साथ करने की योजना बना रहे हैं.''

इसी समारोह में 'बालिका बचाओ'' अभियान को भी लॉन्च किया गया, इसे लॉन्च किया अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, डा. अशोक चोपड़ा और विक्रमजीत एस सहानी (सूर्य फाउंडेशन के प्रमुख) ने, जो कि एक प्रसिद्ध उद्यमी, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वो विशेष रूप से बालिका के संबंध में भारतीय समाज की मानसिकता में एक सकारात्मक बदलाव के बारे में प्रतिबद्ध है. फाउंडेशन ने दो मिनट का एक वृत्तचित्र बनाया है जिसमें अभिनेत्री प्रियंका चोपडा द्वारा एक संदेश है जो अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भाषाओ में है.

इस अवसर पर प्रियंका ने कहा कि, ''जब मैंने इस वृत्तचित्र देखा, तब मुझे लगा कि - 'क्या होता अगर मेरे माता पिता मुझे जन्म नहीं देते ? मैं यहाँ बिल्कुल नहीं पंहुच नहीं पाती, जहाँ आज मैं हूँ. मुझे लगता है कि आज लोगों को इस पर विश्वास करना चाहिए कि एक लड़की एक लड़के से ज्यादा सफल हो सकती है ...और एक बेटी बहुत ही अनमोल है किसी भी बेटे के मुकाबले.''

Sunday, March 14, 2010

नव संवत्सर 2067 की मंगलकामनाएं


मेरे सभी ब्लॉगर दोस्तों को नव संवत्सर 2066  बहुत - बहुत मुबारक हो ।
आने वाला नव संवत्सर 2067 मंगलमय हो ।
हिंदू तिथि के अनुसार नव संवत्सर का आरंभ चैत माह की प्रतिपदा से होता है  और इस बार यह इसकी शुरूआत 16 मार्च से हो रही है । इसी दिन से चैत नवरात्र भी प्रारंभ हो रहे हैं ।  हिंदुओं के लिए इस दिवस का बडा़ ही एतिहासिक महत्व है ।
ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना का दिवस ।
सतयुग में मत्स्यावतार का दिवस ।
महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत का शुभारंभ दिवस ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिवस
महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना का दिवस ।
पावन चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस ।

तो आइए जिस तरह हम जोर शोर से अंग्रेजी केलेण्डर के मुताबिक १ जनवरी को नया साल मनाते हैं । आज जरूरत है उससे कहीं ज्यादा जोश व उमंग के साथ नव संवत्सर 2067 का स्वागत करें ।
नव संवत्सर की अधिक जानकारी के लिए hindi.webduniya.com  पर अनिरुद्ध जोशी का आलेख देख सकते हैं ।

Saturday, March 13, 2010

हम भारतीयों के लिए गर्व की बात है

हाल ही में यूनेस्को यानि यूनाएटेड नेशन एजूकेशनल एंड साइंटिफिक कल्चरल ऑर्गनाइजेशन [United Nation Educattional and Scintific cultural organisation] ने घोषणा है कि भारतीय नेशनल एंथम [ भारतीय राष्ट्र गान ] विश्व भर में सबसे अच्छा एंथम है । यूनेस्को की यह घोषणा हम भारतीयों के लिए बडे़ गर्व की बात है ।

Thursday, March 11, 2010

20 मार्च को ” वर्ल्ड हाउस स्पैरो डे ”






पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विश्व भर में तरह - तरह के कदम उठाए जा रहे हैं । प्रकृति की अनुपम देन पशु - पक्षियों की तमाम प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं । विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठन इन्हें बचाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं । इसी दिशा में आगामी 20 मार्च को विश्व भर में " वर्ल्ड हाउस स्पैरो डे" मनाया जाएगा । सदियों पहले आम पक्षियों में सदन गोरैया यानि हाउस स्पैरो सबसे ज्यादा संख्या में पाईं जाती थी लेकिन अब धीरे - धीरे इनकी संख्या में भारी गिरावट आ गई है । जिसका मुख्य कारण इनके निवास स्थानों का  विनाश होना तथा युवा गोरैया के लिए भोजन न मिल पाना  माना जा रहा है । यही नहीं आजकल मोबाइल टावरों से निकलने वाली माइक्रोवेव प्रदूषण भी इनकी संख्या में कमी का मुख्य कारण है ।
इस डे को मनाने के पीछे यही उद्देश्य होगा कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस कार्यक्रम से जुडे़ तथा सदन गोरैया के उजड़ते घरों को बचाने की दिशा में कदम उठाए जाएं ।महाराष्ट्र की नेचर फ़ोरएवर सोसायटी ने सभी राष्ट्रीय संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, क्लब और समाजों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों और दुनिया भर के लोगों को आमंत्रित किया है कि वह आगे आएं और अपने स्तर पर सदन गोरैया को बचाने की दिशा में काम करें ।

Monday, March 8, 2010

चलते - चलते .....कर लें कामना.........




आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरे दिन गहमा - गहमी रहीहर तरफ महिलाओं की कार्यप्रणाली और उसके अधिकार छाए रहे । एक तरह से आज का दिन महिलाओं के नाम रहा । ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भी आज ज्यादातर पोस्टें महिला दिवस के नाम रहीं । इसी कडी़ में मैं भी नहीं चूकी और कूद पडी़ सभी को इस दिवस की बधाई में दो शब्द कहने ------




हम हैं तो ये है ...

हम हैं तो वो है ...

हम हैं तो सब कुछ है ..

हम से ही है सारा जमाना

हम नहीं तो कुछ नहीं

तभी तो कहते हैं.......

क्या.......

कि

हम... किसी से कम नहीं ...............।



Friday, March 5, 2010

सलाम करें इनके जज्बे औए मेहनत को ...

हर साल की तरह इस साल भी ८ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा । किंतुइस बार खास बात यह है कि इस दिवस को १०० साल पूरे हो जाएंगे और काफी समय से लंबित पडा़ महिला आरक्षण बिल भी इस दिन संसद में पेश कर दिया जाएगा । ऎसा करके सोनिया गांधी देशभर की महिलाओं को इस दिवस का तोहफा देने की तैयारी कर चुकी हैं ।
भले ही आने वाली आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को सौ साल पूरे हो रहे हैं लेकिन देखा जाए तो महिलाओं ने पिछले बीस - पच्चीस सालों में जो तरक्की है वह तारीफे काबिल है । यह कहें कि इस दिवस को मनाने केपीछे जो मकसद था उसमें काफी हद तक हम सफल हुए हैं । आज चाहे जो क्षेत्र हो हर जगह महिलाओं की उपस्थिति अपनी सफलता के आंकडे़ बयां कर रही है । हाल ही में दैनिक हिन्दुस्तान अखबार में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रकाशित सुधांशु गुप्त जी की रिपोर्ट में क्षेत्रवार महिलाओं की उपस्थिति और सफलता का ब्यौरा दिया गया है जिसमें महिलाओं की तरक्की की रफ्तार स्पष्ट दिखाई दे रही है । इसके अलावा सुधांशु जी ने पिछले २५ सालों में महिलाओं की तरक्की उन्हीं के द्वारा जानने की कोशिश में जो बीस सवाल किए हैं उनका आज मैं जो जवाब दूंगी तो बीस में से सत्रह जवाब हां में है । और इसका मतलब हमने अस्सी फीसदी से ज्यादा तरक्की कर ली है ।
वहीं इस दिवस की पूर्व संध्या पर मैं उन महिलाओं व लड़कियों को सलाम ठोकती हू जो अपनी मेहनत और जज्बे के बल पर समाज में महिलाओं की स्थिति को सुदृढ़ करने के साथ ही अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरी हैं ।
मीनाक्षी ने कोलकाता से लौटकर छोटी उम्र की दो लड़कियों के बारे में दैनिक हिन्दुस्तान में एक खबर दी है कि कोलकाता के पुरलिया जिले के भूरसू गांव की दो लड़कियों [रेखा कालिंदी और अफसाना खातून ] ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई जिसके चलते अन्य पैंतीस लड़कियों ने भी उनका पीछा करते हुए बाल विवाह से इंकार कर दिया । बारह साल की एक बच्ची बीना तो छह बार मंडप से भाग खडी़ हुई । घरवालों के लाख समझाने व प्रताडि़त करने के बावजूद उसके हौंसले में कमी नहीं आई ।मीनाक्षी की रिपोर्ट से साफ झलकता है कि ये लड़कियां गरीब व अनपढ़ परिवार से ताल्लुक रखती हैं लेकिन महिलाओं व बच्चों के लिए काम कर रही यूनीसेफ जैसी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का उनपर प्रभाव पड़ रहा है और वे एकजुट हो अपने बचाव में खडी़ हो रही हैं । रेखा अफसाना का यह कारवां बढ़ता जा रहा है इससे सदियों से चली आ रही कुप्रथा खत्म होने के आसार नजर आने लगे हैं ।
कहते हैं न कि किसी भी काम की शुरूआत करने के लिए किसी न किसी को आगे आना ही पड़ता है सो यह काम रेखा और अफसाना ने किया जिसके लिए इस साल इन्हें वीरता पुरस्कार भी मिला है । अत: मैं और आप भी उनकी व अन्य बालिकाओ
की हौसला आफजाई करते हुए उनके साहसी कदम के लिए सलाम ठोंकते हैं ।
नई दुनिया अखबार के नायिका परिशिष्ट के पन्ने भी आज तमाम ऎसी महिलाओं के दुस्साहस भरे काम के किस्से कह रहे हैं , जिन्हें देखकर महसूस होता है कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं ।
यही नहीं आज हिन्दी ब्लॉगर जगत में भी महिला ब्लॉगरों की उपस्थिति कम नहीं है । यहां भी महिला ब्लॉगर अपनी भूमिका बखूबी निभा रही हैं और एक महिला ब्लॉगर होने के नाते मुझे भी गर्व है ।