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Wednesday, September 30, 2009

मुझे अभिनय करना पसंद नही - लता मंगेशकर


२८ सितम्बर को सुर साम्राज्ञी लता जी का ८० वां जन्मदिन था , उनके इस शुभ दिन को और भी यादगार बनाने के लिए संगीत कंपनी सारेगामा ने ''८० ग्लोरियस ईयर ऑफ़ लता मंगेशकर -सफलता के शिखर पर - कल भी आज भी'' नाम का आठ सी डी का एक एलबम रिलीज़ किया जिसमें सन ४० के दशक से लेकर सन २००० तक के सभी लोकप्रिय गीत शामिल किये गये हैं. १२०० रूपए मूल्य पर उपलब्ध इस आठ सी डी के आकर्षक पैक में लता दीदी की आवाज में मधुर गीत तो हैं ही हैं इसके साथ -- साथ इस एलबम की कई अन्य विशेषताएं भी हैं जैसे -- इस सी डी का परिचय कराया है जाने माने निर्माता - निर्देशक यश चोपडा ने. उन्होंने ''लता दीदी'' के बारे में खुद एक लेख लिखा है. इसके अलावा लता दीदी की अलग - अलग आयु की कुछ दुर्लभ तस्वीरे भी हैं, कुछ तस्वीरों में उनके साथ यश चोपडा भी हैं. लता दीदी से विस्तृत बातचीत हुई उनके इसी एलबम और उनके व्यक्तिगत जीवन को लेकर प्रस्तुत हैं कुछ रोचक अंश ---
सबसे पहले तो आपको हम सभी की तरफ से जन्म दिन की बहुत - बहुत बधाई.
· किस तरह मनाया जन्मदिन ?
मैं कुछ नहीं करती, मुझे केक काटना पसंद नहीं हैं. जब छोटी थी तब जन्मदिन पर माँ घर में मिठाई बनाती थी और माथे पर तिलक लगाती थी. वो अच्छा लगता था.
· संगीत कंपनी सारेगामा द्वारा रिलीज़ किये गये आपके इस एलबम ''८० ग्लोरियस ईयर ऑफ़ लता मंगेशकर -सफलता के शिखर पर - कल भी आज भी'' के गीतों का चुनाव आपने किस तरह किया ?
मेरे इस एलबम में वो गीत हैं जो कि अमीन सयानी के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम बिनाका गीत माला में नंबर वन की पोजीशन पर होते थे. इसमें ४० के दशक के पुराने गीतों से लेकर २००० तक के लोकप्रिय गीत हैं.
· इसमें यश जी ने आपके बारें में लिखा है व आपके उनके साथ कुछ विशेष फोटो भी हैं, यश जी के बारे में हमें कुछ बताइए ?
यश जी और मेरा भाई बहन का रिश्ता हैं उनके साथ मैंने बहुत काम किया है, इसके अलावा वो मेरे प्रिय निर्देशक भी हैं.उनका जन्म दिन २७ सितम्बर को होता है और मेरा ठीक एक दिन बाद यानि २८ सितम्बर को.
· आप अपनी किसी उपलब्धि को कैसे देखती हैं जैसे आपके इस जन्मदिन पर सारेगामा ने यह एलबम रिलीज़ किया है ?
यह सारेगामा का मेरे प्रति प्यार है, जो उन्होंने मेरे गीतों का यह एलबम रिलीज़ किया है. मेरे लिए मेरी हर उपलब्धि मायने रखती है.
· आपने अभिनय भी किया है ?
हाँ लेकिन मुझे अभिनय करना कभी भी पसंद नहीं आया, मेकअप करना बहुत ही बेकार लगता था.
· आप शास्त्रीय गीत गाना चाहती थी ?
हाँ मैं शास्त्रीय ही गाना चाहती थी लेकिन परिस्थितियों की वजह से मुझे फ़िल्मी गीतों को गाना पड़ा, क्योंकि मुझे रूपये कमाने थे अपने परिवार के लिए.
· जब आपने गाना शुरू किया था तब आपकी आवाज के बारें में लोग कहते थे कि आपकी आवाज बहुत ही पतली है ?
हाँ कहा था,लेकिन मेरी आवाज भी तो पतली ही है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मैंने अपना पहला गीत ऐसे हिरोइन के लिए गाया जिसकी आवाज मोटी थी. · शुरू शुरू में आप नूरजहाँ की तरह गाती थी ?
हाँ क्योंकि मैं उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ मैंने उन्हें बचपन में बहुत सुना है. लेकिन उनकी कॉपी नही करती थी बस किसी - किसी शब्द को कैसे बोलती हैं मैं भी वैसा ही करती थी लेकिन ऐसा ज्यादा दिन तक नहीं चला, मुझे अपना अलग ही स्टाइल अपनाना पड़ा. और ऐसा करने में मेरे संगीत निर्देशकों का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है.
· आपने सभी तरह के गीत गायें हैं जैसे रोमांटिक, छेड़छाड़ व विरह के, आपको किस तरह के गीत गाना अच्छा लगता है ?
मुझे भजन व सीधे सादे गीत गाना अच्छा लगता है, लेकिन मैं आपको बताऊ कि मैंने भूत वाले गीत बहुत ही गायें हैं, जो कि हिट भी बहुत हुए, लोग कहने लगें थे कि भूत का गाना तो लता से गवाओ हिट होगा.
· आपको किस गायक के साथ युगल गीत गाने ने मजा आता था ?
किशोर दा के साथ, क्योंकि वो बहुत ही हंसाते थे, मजा करते थे संगीतकारो की नकल बनाते थे, सभी का नाम उन्होंने रख रखा था. कई बार तो हमें उन्हें रोकना पड़ता था कि बस अब बहुत हो गया. हाथ से सारंगी बजाते जाते और गाते जाते.
· किस संगीतकार के साथ आपको काम करना बेहद अच्छा लगता था?
मदन मोहन, शंकर जयकिशन, नौशाद, सलिल चौधरी, सज्जाद हुसैन. एस डी बर्मन, अनिल विश्वास, जयदेव, हेमंत कुमार सभी के साथ मुझे काम करना पसंद था, इन सभी के साथ काम करते हुए मैंने बहुत सीखा.
· आपका जिक्र आते ही सबसे पहले जो छवि आती है वो होती है लाल या सुनहरे बॉर्डर वाली सफेद या क्रीम रंग की साडी पहने लता दीदी. तो कोई ख़ास वजह है यह रंग पहनने की ?
मुझे हमेशा से ये ही रंग पसंद आते हैं पहले मैंने लाल या पीले रंग की साडी पहनी है उन रंगों की साडी पहन कर मुझे ऐसा लगता था कि जैसे किसी ने मुझ पर रंग डाल दिया हो, मैंने माँ को बताया तो वो बोली कि कोई बात नहीं जो तुम्हें अच्छा लगता है वो रंग पहनो.
· अभी कोई एलबम आपका आ रहा है ?
पांच सी डी का एक एलबम हम तैयार कर रहें हैं इनमें युगल गीत ही होगें. एक सी डी में केवल शास्त्रीय गीत ही हमने शामिल किये हैं. इससे पहले भी पांच सी डी का एक एलबम निकाला था जिसमें हमने पिताजी, सहगल साहेब, बड़े गुलाम अली साहेब, मुकेश भैय्या, मेरे आशा व सोनू निगम के गीत रखे थे.
· आप अपने पिताजी से संगीत सीखती थी तो वो कुछ बताते थे कि कैसे गाना चाहिए ?
जब पिताजी रियाज करते थे तो मैं भी उनके पास बैठ जाती थी सुनती थी और गाती थी, पिताजी बहुत ऊँचे सुर में गाते थे उनको सुनकर मैं भी ऊँचे सुर में गाने लगी तभी मेरा सुर भी ऊँचा है लोग तो कहतें हैं कि लड़कियों का सुर कभी इतना उंचा नहीं होता जितना मेरा होता है. पिताजी ने यह कभी नहीं कहा कि ऐसा गाओ या वैसा गाओ वो बस इतना कहते थे कि ये जो तुम्हारा तानपूरा है इस पर कभी धूल नहीं पड़ने देना नहीं तो तुम्हारे गाने पर भी धूल पड़ जायेगी.
· संगीतकार ए आर रहमान के बारे में कुछ कहना चाहेगीं ? अच्छा संगीत है उनका, मैंने भी उनके साथ गाया है. वो नये नये लोगो को गाने का मौका देते हैं यह बहुत बड़ी बात है, मेरे हिसाब से बड़ा संगीतकार वो है जिसके संगीत से पुराना सारा संगीत बदल जाए. जैसे सन ४१ मे मास्टर गुलाम हैदर आये और सारा संगीत बदल गया फिर उनके संगीत को शंकर जयकिशन ने बदला ।

Sunday, September 27, 2009

माता के भजनों की धूम


शारदीय नवरात्र हैं ,ऐसे धार्मिक अवसर पर पिछले दिनों राजधानी दिल्ली में गायक अमरजीत सिंह बिजली ने दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित को अपनी आवाज में गाये माता के भजनों के एलबम ''अम्बे भवानी'' को भेंट किया. संगीत कंपनी टी सीरीज द्वारा रिलीज़ किये गये इस एलबम में पंजाबी, लोकसंगीत और सूफी संगीत पर आधारित भजन हैं.
अमरजीत सिंह बिजली गीत - संगीत के क्षेत्र में एक जाना माना नाम हैं उन्होंने पंडित ज्वाला प्रसाद से संगीत की बारीकियों को सीखा है, टी सीरीज, वीनस, बी एम मी, यूनीवर्सल जैसी प्रसिद्ध संगीत कंपनियो ने बिजली जी के अनेको एलबम को रिलीज़ किए हैं ।बिजली जी ने धारावाहिक ''फ़िल्मी दुनिया की कहानी, फ़िल्मी लोगो की जुबानी'' व टेली फिल्म ''हम हिन्दुस्तानी '' में गीतों को गाया है. इन्होने देश के अलावा विदेशो जैसे यू के, स्वीडन, डेनमार्क, नोर्वे, आस्ट्रिया, जर्मनी. होंग कोंग व सिंगापुर आदि में भी स्टेज शो किये हैं. स्व महेंदर कपूर, कविता कृष्णमूर्ति, अलका याज्ञनिक, हंसराज हंस, कविता पोडवाल, रिचा शर्मा, जसविंदर नरूला. वंदना वाजपई व जसपाल सिंह जैसी लोकप्रिय गायकों व गायिकाओ के साथ गीतों व भजनों को गाया है.

Thursday, September 24, 2009

ये कैसी भक्ति - कैसी आस्था ?


आस्था और भक्ति के नाम पर हम पूजा - पाठ करके हवन , यज्ञ की भस्म ,फूल - मालाएं तथा अन्य देवी - देवताओं की मूर्तियां व फोटो आदि सामग्री जो कि यहां - वहां नहीं फेंक सकते उसे नदी व गंगा - यमुना मे डालकर अपनी आस्था की इतिश्री कर लेते हैं । जबकि हमारा यह नासमझी भरा कदम पर्यावरण के साथ - साथ नदियों के पानी को भी जहरीला बना रहा है । सिर्फ यही नहीं पर्यावरण व नदियों के साथ अत्याचार की पराकाष्ठा उस समय और बढ़ जाती है जबकि हम धर्म के नाम पर गणेश चतुर्थी व नवरात्र के समय प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी तथा विभिन्न केमिकल भरे रंगों से सुसज्जित मूर्तियां पूजा - पाठ के बाद नदियों या तालाबों में विसर्जित कर देते हैं ।

यहां हमारी आस्था की एक बानगी तो देखिए कि हम त्यौहार, वह चाहे गणेश चतुर्थी हो या नवरात्र, के आने से पूर्व देवी - देवताओं की प्रतिमाएं अपने घर में बडी़ शिद्दत ,आस्था व भक्तिभाव के साथ लाकर उनकी प्रतिस्थापना कर खूब पूजा - अर्चना करते हैं मगर जैसे ही पूजा - अर्चना समाप्त होती है वैसे ही हम उन प्रतिस्थापित मूर्तियों को ले जाकर नदी - तालाबों में विसर्जित कर आते हैं । लेकिन क्या कभी किसी धर्मानुयाई ने पीछे मुड़कर देखा है कि जो प्रतिमा उन्होंने विसर्जित की थी वह किस हाल में है ? क्या कभी विचार किया है कि इससे एक ओर जहां नदी व पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है वहीं दूसरी ओर क्या यह उन मूर्तियों का अपमान नहीं है ? मैं यहां कुछ ऎसे चित्र दे रही हूं जो खुद - ब - खुद अप्नी कहानी बयां कर रहे हैं ।

मैं समझती हूं कि इन चित्रों को देखकर जितनी ठेस मेरे दिल को पहुंची है शायद उतना ही दुख आप लोगों को भी होगा ये चित्र देखकर ।

मुझे लगता है कि आज हम भले ही नए युग में जी रहे हैं और बडी़ - बडी़ बाते करते हैं लेकिन धर्म के नाम पर वही नामझी भरा कदम अपना रहे हैं । आज जबकि बार - बार सरकार व तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा चेताया जा रहा है कि हमारी कार्गुजारी का ही परिणाम है कि आज नदियों का जलस्तर तेजी से घट रहा है वही पर्यावरण काफी प्रदूषित हो रहा है जो कि भविष्य में हम और आप सबके लिए घातक स्थिति है । इससे बचाने के शीघ्र ही कोई कदम नहीं उठाए गए तो इसके घातक परिणाम भी हमें ही भुगतने पडे़गे ।

आश्चर्य की बात तो यह है कि कुछ जागरूक लोगों द्वारा समय - समय पर ऎसे सुझाव भी हमें सुझाए गए हैं जिन्हें अपनाने से न तो हमारी आस्था को ही ठेस पहुंचेगी और ना ही पर्यावरण व नदियां प्रदूषित होंगी । यह सुझाव एकदम सही है कि हम अप्ने घर की पूजा सामग्री को एकत्रित करके नदी में डालने की बजाए समीप के किसी पार्क अथवा घर के पिछवाडे़ में गड्ढा खोदकर उसमें दबा दें जो कि कुछ समय के बाद स्वत: ही गलकर खाद में परिवर्तित हो जाएगी । अब रही मूर्तियों के विसर्जन की बात तो क्या कोई यह बता सकता है कि प्रतिमाएं पूजन के बाद और अधिक पवित्र हो जाती हैं फिर उन्हें नदी में बहाना कहां तक उचित है ? क्या यह उन पूजित मूर्तियों का अपमान नहीं है ? जबकिहोन ायह चाहिए कि पूजित मूर्तियों को तब तक घर में संभा्ल कर रखें जब तक उन्हें सहेजकर रखा जा सके । बाद में उन्हें साफ - सुथ्री जगह पर मिट्टी खोदकर उसमें दबा देना चाहिए । इसके अलावा प्रतिमा खरीदते वक्त यह भी ध्यान दें कि प्रतिमा कच्ची मिट्टी से तैयार की गई हो , क्योंकि व्ह पानी में आसानी से गल जाती है ।

बहरहाल जो भी हो हमें पर्यावरण व नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए शीघ्रताशीघ्र ठोस कदम उठाए जाने बेहद जरूरी हैं और इसकी शुरूआत हमसे ही होगी ।कहते हैं न कि बूंद - बूंद से घडा़ भरता है सो यदि हम एक - एक करके अपने घर की पूजा सामग्री को नदी मेम न डालकर मिट्टी में दबाना शुरू करेंगे तो वो दिन भी दूर नहीं जबकि देखादेखी और लोग भी हमारे इस अभियान में न कूद पडे़ । लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार व अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं तो अपना काम कर ही रही हैं तो चलिए आज ही से हम भी प्रण कर लें कि हम भी अपने स्तर से थोडा़ बहुत जितना भी बन पडे़गा हम नदियों को प्रदूषित होने से बचाएंगे ।

मैं अपने पाठकों से य्ह कहना चाहूंगी कि इस पोस्ट के माध्यम से मैं किसी की धार्मिक आस्थाओं को कतई ठेस पहुंचाना नहीं चाहती हूं , मेरा यही मानना है कि हमें बहते पानी में हाथ धोने वाली मंशा से कोई काम नहीं करना चाहिए बल्कि यह तय करना हमारा कर्तव्य है कि हम जो कर रहे है

उससे किसी को कोई हानि तो नहीं पहुंच रही है । हां , यदि किसी की भावनओं को मेरी पोस्ट से ठेस पहुंची हो तो कृपया मुझे क्षमा करें ।

Wednesday, September 23, 2009

क्या आपने कभी देखा है इसे ?


लाल , पीले, सफेद , गुलाबी गुलाब के महकते हुए फूलों की खुशबू तो आप सबने जरूर ली होगी । परंतु मैं यहां आपको हरे रंग का गुलाब दिखा रही हूं । जो देखने में जितना सुंदर है , उसकी खुशबू भी कहीं ज्यादा महक कर मेरे मन को हर ले रही है । यूं तो गुलाब से मुझे बेहद लगाव है , वे चाहे जिस रंग के हों । लेकिन इस हरे गुलाब ने तो मुझे दीवाना बना कर रख दिया है । हो सकता है आप लोग इस हरे रंग के गुलाब से परिचित हों , कोई बात नहीं । तो लीजिए आप भी इसे देखिए और हो जाईए इसके दीवाने ।

८० बरस की हो जाएंगी लताजी





मधुर आवाज या मधुर गीत संगीत की बात हो तो सबकी जुबान पर सबसे पहले सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का नाम आता है. २८ सितम्बर को लता दीदी ८० साल की हो रही हैं, इस शुभ अवसर पर संगीत कंपनी सारेगामा ने आठ सी डी का एक पैक रिलीज़ किया है'' ८० ग्लोरियस ईयर ऑफ़ लता मंगेशकर--सफलता के शिखर पर, कल भी आज भी'' शीर्षक से. इस आठ सी डी के पैक में सन ४० के दशक से लेकर सन २००० तक के सभी लोकप्रिय गीत शामिल किये गये हैं, जिनमें ''जिया बेकरार है'' [बरसात - १९४९] ''लारा लप्पा लारा लप्पा''[ एक थी लड़की - १९५०] '' इन्हीं लोगो ने '' [पाकीजा - १९७१]'' प्यार किया तो डरना क्या'' [मुग़ल ए आजम-१९६०] ''बिंदिया चमकेगी'' [दो रास्ते- १९६९] ''देखा एक ख्वाब'' [सिलसिला -१९८१] '' चूडियाँ खनक गयी'' [लम्हें - १९९१] ''कुछ न कहो'' [ १९४२ ए लव स्टोरी -१९९४] आदि के अलावा अनेको ऐसे वो सदाबहार गीत हैं जिन्हें श्रोता हमेशा गुनगुनाना पसंद करते हैं.
१२०० रूपए मूल्य पर उपलब्ध इस आठ सी डी के आकर्षक पैक में लता दीदी की आवाज में मधुर गीत तो हैं ही हैं इसके साथ --साथ एलबम की कई अन्य विशेषताएं भी हैं जैसे --इस सी डी का परिचय कराया है जाने माने निर्माता - निर्देशक यश चोपडा ने. उन्होंने ''लता दीदी'' के बारे में खुद एक लेख लिखा है. इसके अलावा लता दीदी की अलग-अलग आयु कुछ दुर्लभ तस्वीरे भी हैं, कुछ तस्वीरों में उनके साथ यश चोपडा भी हैं.

Sunday, September 20, 2009

’डांडिया मस्ती’ में मस्त होकर नाचे लोग


शारदीय नवरात्र आरम्भ हो चुके हैं और इसके साथ ही दांडिया महोत्सव भी शरू हो गया है. डांडिया महोत्सव को ध्यान में रखते हुए राजधानी दिल्ली में भी जगह - जगह गरबा व डांडिया रास का आयोजन हो रहा है.ऐसे ही एक भव्य डांडिया समारोह का आयोजन सहकार नामक एन जी ओ ने नेल्सन मंडेला मार्ग, वसंत कुंज में स्थित प्रोमेनेड डी एल एफ में किया. ''डांडिया मस्ती'' नामक इस डांडिया समारोह में रंग बिरंगे परिधान पहने हजारो की संख्या में लोग शामिल हुयें.
१८ सितम्बर से २८ सितम्बर यानि दस दिनों तक चलने वाले इस ''डांडिया मस्ती'' का जबकि कल पहला ही दिन था लेकिन फिर भी इसमें शामिल होने के लिए लोग दूर दूर से आये हुए थे. आयोजको ने इस समारोह में विशेष रूप से अहमदाबाद के लोकप्रिय डांडिया बैंड को बुलाया था. डांडिया नृत्य को और अधिक मनोरंजक बनाने के लिये १५ ग्रुपो ने भी ''डांडिया प्रतियोगिता में भाग लिया. शामिल प्रतियोगियों में से डांडिया क्वीन, डांडिया किंग व डांडिया कपिल को चुनकर सभी को ५ -५ हजार रूपए भी दिये गये.
पिछले ११ साल से आयोजित हो रहे इस समारोह में लोगोनेपारम्परिक गुजराती खाने का जी भर कर आनंद उठाया. गुजरात टूरिज्म और गुर्जरी व गुजरात हैंडीक्राफ्ट कारपोरेशन ने भी इस ''डांडिया मस्ती'' समारोह में अपने स्टाल लगा रखे थे, लोगो ने इन स्टालों से भी जम कर खरीदारी की.

Saturday, September 19, 2009

’डू नॉट डिस्टर्ब’ भी हिट होगी - गोविन्दा



गोविंदा की फिल्मों का नाम लेते ही सबके चेहरे पर हसीं आ जाती है क्योंकि उनकी जितनी भी फिल्में आयी है उन सभी में भरपूर मनोरंजन होता है. और अगर गोविंदा के साथ डेविड धवन का नाम जुडा हो तो जैसे सोने पे सुहागा. गोविंदा व डेविड ने दर्शको को एक से बड़ कर एक पारिवारिक, मनोरंजक व हास्य फिल्में दी है जिनमे शोला और शबनम, हसीना मान जायेगी, दीवाना मस्ताना, अंदाज, आखें, राजा बाबू, सजान चले ससुराल, कुवारा, कुली नंबर १, जोड़ी नंबर १, छोटे मियां बड़े मियां व पार्टनर प्रमुख हैं. पार्टनर फिल्म के बारे में तो यह कहा जा सकता है कि इस फिल्म के द्वारा ही गोविंदा ने फिर से अपना करियर शुरू किया. इस समय गोविंदा चर्चा में है निर्माता वाशु भगनानी की फिल्म ''डू नॉट डिस्टर्ब'' को लेकर. बिग पिक्चर्स एंड पूजा इंटरटेनमेंट इंडिया लिमिटेड प्रेजेंट्स की शीघ्र आने वाली फिल्म के निर्देशक हैं डेविड धवन. गोविंदा से मुलाकात हुई और बातें हुई उनकी इसी फिल्म को लेकर. प्रस्तुत हैं कुछ अंश ---
· अपनी इस फिल्म के बारें में बताइये, क्या कहानी है इसकी?
हास्य फिल्म है ''डू नॉट डिस्टर्ब'', मैं बहुत ही अमीर बिजनिस मैन है उसकी एक खूबसूरत पत्नी है लेकिन उसका प्रेम सम्बन्ध एक सुपर मॉडल से हो जाता है और फिर उस बेचारे का क्या होता है ? यही है मेरी इस फिल्म की कहानी, जिसका निर्देशन किया है मेरे दोस्त डेविड ने और फिल्म का निर्माण किया है वाशु जी ने, जिनके साथ मैं पहले भी काम कर चुका हूँ.
· आपने निर्माता वाशु भगनानी के साथ भी काफी अरसे बाद काम किया है?
करीब दस साल ही गये जब फिल्म ''छोटे मियां बड़े मियां'' आयी थी,यह फिल्म वाशु जी की ही थी इससे पहले मैंने उनके साथ कुली नंबर १ व हीरो नंबर १ में काम किया था. यह सभी फिल्में हिट रही थी और मुझे पूरा यकीन है कि यह भी हिट होगी.
· आपके साथ फिल्म में सुष्मिता भी हैं सुना है उनके और आपके बीच कुछ प्रोब्लम है इसलिए शूट पर भी दिक्कत आयी?
ऐसा कुछ भी नहीं है मेरे और सुष्मिता के बीच, हम दोनों ने पहले भी साथ काम किया है हमारी जोड़ी को भी दर्शको ने बहुत पसंद किया है, फिल्म भी हिट रही थी और मुझे पूरी उम्मीद है यह फिल्म भी दर्शक पसंद करेगें.
· आपके साथ लारा दत्ता भी है, बताइये कुछ उनके बारे में?
लारा फिल्म में मेरी प्रेमिका बनी हैं बहुत ही अच्छा काम किया है लारा ने. मैं उनके साथ पार्टनर में भी काम कर चुका हूँ.
· आपने तो अधिकतर हास्य फिल्मों में ही काम किया है तो यह फिल्म आपकी पिछली फिल्मों से किस तरह अलग है?
बहुत ही अलग है मेरी यह फिल्म ''डू नॉट डिस्टर्ब'', क्योंकि डेविड ने फिल्म ही ऐसी बनाई है जो कि दर्शको को नॉन स्टाप हंसायेगी. इसके अलावा मेरे साथ इस फिल्म में कुछ ऐसे कलाकार हैं जिनके साथ मैंने पहली ही बार काम किया है जैसे रितेश, रणवीर शोरे आदि.
· रितेश तो आपको ''किंग ऑफ़ कॉमेडी'' कहते हैं तो कैसा रहा उनके साथ काम करना?
मजा आया, रितेश बहुत ही अच्छा काम करता है, मैंने उसकी ''हे बेबी'' व ''मस्ती'' फिल्में देखी हैं दोनों में ही उसने शानदार काम किया है. में उसको उस समय से जानता हूँ जब वो छोटा था.
· आपने मणिरत्नम की फिल्म ''रावण'' में भी काम किया है?
हाँ इस फिल्म में मैंने लक्ष्मण की भूमिका की है, यह फिल्म मेरी दूसरी फिल्मों से बिल्कुल ही अलग है. मणि सर के साथ हर कोई काम करना चाहता है मैं भी चाहता था, इस फिल्म में काम करके मेरा सपना पूरा हो गया.
· पार्टनर फिल्म का सीकुअल बन रही थी क्या हुआ?
डेविड और सलमान दोनों ही व्यस्त हैं इसलिए देर हो रही है.
· सुना है आपकी बेटी नर्मदा भी फिल्मों में आ रही है क्या कुछ बताएगें कब तक आएगी उनकी फिल्म?
अभी वो बहुत छोटी है इसके साथ ही वो सही फिल्म व सही भूमिका का इन्तजार कर रही है.

-मीनाक्षी शर्मा

Monday, September 14, 2009

हिन्दी दिवस की बहुत - बहुत शुभकामनाएं

समस्त हिन्दी ब्लॉगरों को आज हिन्दी दिवस पर मेरी ओर से बहुत - बहुत शुभकामनाएं । आज हम सभी इस बात को अच्छी तरह से जानते व समझते हैं कि आज अपने ही घर में अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए राष्ट्र भाषा हिन्दी को कितने जतन करने पड़ रहे हैं । लेकिन यह देखकर खुशी होती है कि ऎसे कठिन दौर में हिन्दी का अस्तित्व बनाए रखने के लिए तथा इसके प्रचार - प्रसार के लिए हिन्दी भाषी ब्लॉगरों ने काफी मेहनत मशक्कत की है , उसी का परिणाम है कि आज इंटरनेट पर हिन्दी भाषा का सम्मान करने वाले हिन्दी भाषी ब्लॉगरों की धूम मची है ।
सिर्फ इतना ही नहीं आज इंटरनेट पर अंग्रेजी के साथ - साथ हिन्दी भाषा की तमाम साइटें भरी पडी़ है ।

Friday, September 11, 2009

बोबी के साथ काम करना अच्छा लगा : कंगना रानावत


कंगना रानावत ने फिल्मों में आने से पहले दिल्ली के ''अश्मिता थियेटर ग्रुप'' के साथ कुछ नाटक किये और फिर मुंबई की ओर कदम रखा जहाँ उन्होंने आशा चंद्रा के अभिनय स्कूल से तीन महीने का अभिनय कोर्स किया. मुंबई में ही निर्देशक अनुराग बासु ने उन्हें एक काफी शॉप मे देखा और अपनी फिल्म ''गैंगस्टर'' मे मुख्य भूमिका के लिये ऑफर किया. इस तरह कंगना ने २००६ मे फिल्म ''गैंगस्टर'' से अभिनय सफ़र शुरू किया. इस फिल्म में दर्शकों ने उन्हें पसंद किया. इस फिल्म के बाद उन्होंने ''वो लम्हें'' फिल्म में परवीन बोबी की भूमिका अभिनीत की. फिर उन्होंने ''लाइफ इन ए मेट्रो'' ,''शाकालाका बूम बूम'', ''फैशन'' , ''राज द मिस्ट्री'' आदि फिल्मों मे काम किया. कंगना को उनके अभिनय के लिए कई अवार्ड भी मिल चुके हैं जिनमें फिल्म ''फैशन'' के लिए सर्वश्रेष्ठ सहनायिका का फिल्म फेयर अवार्ड प्रमुख है. जल्दी ही उनकी एक फिल्म आ रही है ''वादा रहा''. इस फिल्म वो बोबी देओल के साथ हैं. इसी फिल्म के सिलसिले में उनसे बातचीत हुई ----
• फिल्म ''वादा रहा'' के बारे में बताइए?
-नेक्स्ट जेन फिल्म्स प्रजेंट्स व टॉप एंगल प्रोडक्शन की फिल्म है ''वादा रहा-- आई प्रोमिस'', इस फिल्म को निर्देशित किया है समीर कार्निक ने. समीर कार्निक ने इससे पहले ''नन्हें जेसलमेर'' व ''हीरोज'' आदि फिल्मों का निर्देशन किया है. इस फिल्म में मैं बोबी देओल की प्रेमिका बनी हूँ. फिल्म में अतुल कुलकर्णी व द्विज यादव भी हैं. फिल्म के गीत लिखे हैं बब्बू मान, तुराज, संदीप नाथ, राहुल बी सेठ एंड सैंडी ने. फिल्म में संगीत कई संगीतकारों बब्बू मान, तोशी-- शारीब, मोंटी, राहुल बी सेठ एंड सैंडी, संजोय चोधरी ने दिया है.
• कहानी क्या है फिल्म की?
-मैं और बोबी आपस में प्यार करते है. बोबी डॉक्टर बने हैं. आशा निराशा के बीच की जंग दिखाई है फिल्म में. बहुत ही खूबसूरत फिल्म बनाई है समीर कार्निक ने. भावनात्मक फिल्म है, दर्शको को पसंद आएगी.
• निर्देशक समीर व बोबी दोनों के ही साथ आपने पहली ही बार काम किया है, कैसा रहा उनके साथ काम करना?
-जैसा मैंने पहले भी बताया कि समीर ने बहुत ही जबरदस्त फिल्म बनाई है, अच्छा रहा उनके साथ काम करना. बोबी के साथ मैंने पहले ही बार काम किया है लेकिन ऐसा लगा नहीं कि पहली ही बार हमने साथ काम किया हो. अच्छी जोड़ी लगी है हमारी.
• फिल्म ''काईट्स'' के बारे में बताईये?
-मैं इस फिल्म में सालसा डांसर बनी हूँ. यह भूमिका मेरी पिछली भूमिकाओ से बिलकुल ही अलग है. मैं शूट पर रितिक रोशन से डांस के स्टेप भी सीखती थी. अच्छी फिल्म है ''काईट्स''.
• आपकी आने वाली फिल्में कौन सी हैं?
- ''वन्स अपोन ए टाइम'' ,'' अनीस बज्मी की '' नॉ प्रॉब्लम'', आनंद राय की ''तनु मीट्स मनु'' व ''एक निरंजन'' मेरी आने वाली फिल्में हैं. इन सभी फिल्मों में मैंने अलग अलग तरह की भूमिकाये की है. ''नॉ प्रॉब्लम'' हास्य फिल्म है मैंने इससे पहले कभी हास्य फिल्म में काम नहीं किया, सुष्मिता सेन के साथ शूट पर बहुत ही मजे किये.
• फिल्म ''गैंगस्टर'' से शुरू हुआ आपका यह अभिनय सफ़र यहाँ तक पंहुचा है कैसा रहा अब तक का यह सफ़र?
-बहुत ही अच्छा, मुझे पहली ही फिल्म अनुराग बासु जैसे निर्देशक के साथ करने को मिली. उनके साथ मैंने तीन फिल्में की है. इसके अलावा महेश भट्ट जैसे बड़े निर्देशक के साथ भी मैंने काम किया है. अभी मैं कई बड़ी व अच्छी फिल्में कर रही हूँ .

Thursday, September 10, 2009

Wednesday, September 9, 2009

अभी बहुत सारे अवार्ड लेने बाकी हैं : ओमपुरी

अभिनेता ओम पुरी ने जब भी किसी भूमिका को अभिनीत किया है तो पूरी तरह से उसमें डूबकर। तभी तो उन्हें अभिनय के लिए दो बार राष्ट्रीय पुरुस्कार, फिल्म फेयर अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड व पद्मश्री जैसे अनेको सम्मानीय अवार्ड मिलचुके हैं। रिद्धि सिद्धि द्वारा प्रस्तुत फिल्म ''बाबर'' में उन्होंने फिर एक बार दरोगा की भूमिका अभिनीत की है अब तक वह ३० बार पुलिस ऑफिसर की भूमिका कर चुके हैं फिल्म ''बाबर'' में वह दरोगा बने हैं
।पिछले दिनों नॉएडा के मारवाह स्टूडियो में इसी फिल्म के सिलसिले उनसे बातचीत हुई.प्रस्तुत हैं बातचीत के कुछ अंश-------
· ''बाबर'' में एक बार फिर पुलिस के दरोगा बने है क्या कोई ख़ास वजह इसकी?
-ख़ास वजह तो यही है कि मैं फिर से पुलिस वाला बना हूँ फिल्म ''बाबर में, पता नहीं अभी कितनी बार और बनूंगा.
· अर्धसत्य से लेकर अब तक आप अनेको बार पुलिस वाले की भूमिका कर चुके हैं कैसा रहा अब तक का सफ़र?
-फिल्म ''अर्धसत्य'' से शुरू हुआ पुलिस की भूमिका का यह सफ़र बहुत ही अच्छा रहा. मैंने अच्छे व बुरे दोनों ही तरह के पुलिस ऑफिसर की भूमिका की है. ''अर्धसत्य'' में मैं ईमानदार पुलिस ऑफिसर बना था जबकि इस फिल्म ''बाबर'' में भ्रष्ट दरोगा बना हूँ, जो कि अपराधी की मदद करता है उसके साथ बैठ कर चाय पीता है. बाद में उसे अपने रास्ते से हटाने से भी झिझकता नहीं हैं. मजा आया चतुर्वेदी के चरित्र को अभिनीत करके. वास्तव में ऐसे दरोगा होते हैं.
· फिल्म ''बाबर'' की कहानी बताइए?
-यह कहानी है एक ऐसे लड़के बाबर की, जो कि १२ साल की छोटी सी उम्र में हत्या कर देता है और अपराध के इस सफर मे चलते हुए वो माफिया बन जाता है.
· इस फिल्म में आपके साथ मिथुन दा भी है, कैसा रहा उनके साथ काम करके?
-बहुत ही मजा आया शूट पर, कैसे अभिनेता हैं वह आप सभी जानते हैं मुझे यह बताने की जरुरत नहीं हैं. मुझे ''देव'' फिल्म मे बिग बी के साथ भी बहुत मजा आया था. ''मकबूल'' फिल्म में पुलिस वाले की भूमिका को करते समय शूट पर मैंने व नसीर ने बहुत ही मजे किये.
· फिल्म की किसी भूमिका का असर आपकी निजी जिन्दगी पर भी पड़ता है?
- बस ''अर्धसत्य'' के पुलिस ऑफिसर का चरित्र मुझे प्रभावित करता है. बाकि तो जब तक मैं शूट पर रहता हूँ तभी तक उसका प्रभाव रहता है जैसे ही शूट ख़त्म हुआ असर ख़त्म और मैं वापस ओम पुरी.
· ''बाबर'' के निर्देशक आशु त्रिखा के साथ कैसा रहा काम करना?
-आशु ने अच्छी कहानी चुनी है फिल्म की. एक वास्तविक कहानी पर फिल्म बनाना और उसे वास्तविक लोकेशन पर शूट करना कोई आसान काम नहीं हैं. दर्शको को पसंद आएगी ''बाबर'' फिल्म.
· आपकी कौन कौन सी फिल्में आने वाली हैं?
-''लन्दन ड्रीम्स'' ,''रोड टू संगम'', ''वांटेड'' व इस प्यार को क्या नाम दूं'' मेरी आने वाली फिल्में हैं.
· आपको राष्ट्रीय पुरुस्कार, फिल्मफेयर, पदमश्री व लाइफ टाइम अचीवमेंट आदि अनेको अवार्ड मिल चुके हैं अब क्या चाहते है?
-अभी बहुत सारे अवार्ड बचे हैं जैसे जैसे मिलेगें तब मैं उसके में बात करूगां, अभी नहीं.

Saturday, September 5, 2009

नत- मस्तक हो शत - शत प्रणाम मेरे को

आज शिक्षक दिवस है । आज मैं अपने उन सभी गुरुओं को यादकर उन्हें बार बार नमन करती हूं जिनसे आज मैं बहुत दूर हो चुकी हूं , आज सिर्फ उनकी यादें शेष हैं ।
हं मैं अपनी एक गुरू डॉक्टर शशि तिवारी के करीब हूं जिन्हें मैं शिक्षक दिवस की बधाई देती हूं । इस समय मैं डॉक्टर तिवारी के निर्देशन में पी. एच डी कर रही हूं ।
इसके अलावा मैं अपने ब्लॉगिंग गुरुओं को भी बधाई देती हूं जिनसे मैं जाने - अनजाने आए दिन कुछ न कुछ नया सीखती हूं और उनसे मुझे ब्लॉग पर टिपियाने की सीख व जोश मिलता रहता है । विशेष रूप से यहां मैं ब्लॉगिंग गुरू की श्रेणी में ”हिन्दी ब्लॉग टिप्स” को रखना चाहूंगी जिनके सम्पर्क में रहकर मुझे आएदिन ब्लॉग पर कुछ न कुछ नया करने व सीख्ने को मिल रहा है ।
HAPPY TEACHERS DAY

लाजबाव होती है फ्रूट परेड




समूचे विश्व में नजर डालो तो पता चल जाएगा कि लोगों में एक से बढ़कर एक कलाकारी का जुनून भरा पडा़ है । उनकी कलाकारी ऎसे - ऎसे करतब देखने को मिल जाएंगे जो किसी ने सोचा तक न हो । ऎसा ही एक बेजोड़ नमूना आपको देख्ने के लिए मिल जाएग नीदरर्लैंड में । जी हां नीदरलॆंड के एक शहर ताइल में हर वर्ष सितम्बर माह के दूसरे शनिवार को एक अजीबोगरीब फैस्टिवल मनाया जाता है जिसे फ्रूट परेड अथव फ्रूट कोरसो के नाम से जाना जाता है । इसमें शहर के लोग अपने - अपने तरीके से विभिन्न प्रकार के फ्रूट को विभिन्न डिजाइनों में अपने - अपने वाहनों में सजाकर लोगों के सामने पेश करते हैं । वास्तव में उनकी कलाकारी का प्रदर्शन कितना सुंदर और नायाब होता है यह तो परेड देखकर स्वत: ही लग जाता है ।
इस बार फ्रूट परेड का आयोजन १२ सितम्बर को किया जा रहा है । यह ४९वां समारोह है जो कि लोगों के बीच काफी प्रसिद्धि पा चुका है ।यहां आपके सामने पिछ्ली फ्रूट परेड के कुछ चित्र हैं जो आपको फ्रूट परेड में ले जाएंगे ।