राज ठाकरे की गिरफ्तारी तो बहुत पहले ही हो जानी चाहिए थी , खॆर देर आयद , दुरुस्त आयद ,गिरफ्तारी हुई तो राज ठाकरे जैसे नेता इस देश को बर्बादी की ओर ले जा रहे हैं. ऐसे नेताओं को या तो हमेशा के लिए जेल में डाल देना चाहिए या फिर इस देश से निकाल देना चाहिए. ऐसे नेताओं का मक़सद सिर्फ़ आपस में झगडे़ करवाना है और कुछ नही । इन के जैसे नेता कभी भी मुल्क मैं चैन और अमन नही चाहते, कभी जातिवाद, कभी भषवाद और ना जाने किस किस बात पर ये लोग मुल्क का चैन और अमन ख़राब करते रेहते हैं, मैं तो कहती हूँ कि राज ठाकरे और इस के जैसे और सभी नेताओं को या तो इस देश से निकाल दिया जाना चाहिए या फिर इन को राजनीति से बिल्कुल अलग कर देना चाहिए, जो मूल मैं छाई शांति और अमन नही देख सकते और आए दिन कोई ना कोई नया मुद्दा उठाते रहते हैं.
राज ठाकरे तो मराठी के नाम पे तो कलंक हैं।हम सभी को कुछ सीखने के लिए येह घटना एक मौक़ा है. याद दिला दे हमारे श्री बलसाहेब ने पहले हिंदुओ की रक्षा करने की कसम खाई थी. तब कुछ साल बाद भा ज पा के साथ मिलकर चुनाव लडे़ जीत कर सरकार भी बनी पर हिंदुओ पर आतच्यार नही रुका । समस्त हिंदू जिन्होंने इनको जिताया था रोने लगे क्यूं की हिंदू की रक्षअ तो दूर उनपर कोई ध्यान नही दिया गया. अब श्री बालासाहेबजी बूढे़ हो गए है.सो अब राज साहेब की बारी थी नया मुद्दा खोज लिया. हिंदी भाषी. इसका क्या मतलाव है की राष्ट्र भाषा को राज्य में प्रयोग न किया जाए? येह एक बेवकूफ़ भारी राज नीति है हवालात की हवा तो बालसाहेब भी खा चुके है. पर दुख की बात तो यह है की छतरपति सिवाजी के प्यारे महारसतीय भाई लोग बिल्कुल हिंदुत्व को हित मे रखने की बदले ग़ैर मराठी मे बह गये है.
उम्मीद करते हैं कि इस गिरफ्तारी सेराज ठाकरे व उनके समर्थकों की चूलें हिल जाएंगी और महाराष्ट्र को राज के गुंडाराज से निजात मिल पाएगी ? हम तो कहते हैं कि राज ठाकरे को इस घटना से सबक लेकर अपने में सुधार लाना चाहिए । यही नहीं राज जी को अप्ना शक्ति प्रदर्शन निरीह लोगों व छात्रों पर करने की बजाए आतंकवाद के खात्मे के लिए करना चाहिए । अन्यथा उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि देश की जनता अब उनके जुल्मों को सहन नहीं करेगी ,उनका मुँहतोड़ जवाब देगी ।
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